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प्रोड्यूसर: माज़ हसन
वीडियो एडिटर: नितिन बिष्ट
नोएडा सेक्टर 128 के जेपी ग्रीन्स विश टाउन (Jaypee Greens Wish Town in Noida, Sector 128) में फ्लैट बुक करने वाले घर खरीदारों के लिए, अपना खुद का घर होने का सपना एक बुरे सपने में बदल गया है. वजह है पजेशन मिलने में देरी और मुकदमेबाजी में एक दशक से अधिक समय बीत गया है.
"हम घर खरीदने वालों ने इस विश टाउन का नाम विच टाउन रख दिया है. यह हमारे लिए विच टाउन बन गया है", संजीव साहनी ने अपना अधूरा टॉवर दिखाते हुए हमसे यह कहा. यहां उन्होंने क्यूब प्रोजेक्ट के विश टाउन में अपना फ्लैट बुक किया था.
अपनी आपबीती सुनाते हुए, संजीव ने कहा, "मैंने 2010 में अपने लिए एक अपार्टमेंट बुक किया था, जिसे 2013 या 2014 के बीच डिलीवर किया जाना था. 2013 तक, उन्होंने 33 मंजिला इमारत की लगभग 18 मंजिल का निर्माण किया था. इसलिए, 2013 तक, 50% से अधिक इमारत का निर्माण पूरा हो चुका था. 2013 तक हम फ्लैट की कुल लागत का 80% भुगतान पहले ही कर चुके थे. 2014 से 2017 के बीच कोई निर्माण नहीं हुआ."
JIL के प्रोजेक्ट्स के 17,000 घर खरीदारों में से एक, सुमन विरमानी, फ्लैट का पजेशन मिलने में देरी की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. उन्होंने 2011 में क्रिसेंट होम्स प्रोजेक्ट के विश टाउन में फ्लैट बुक किया था.
स्पष्ट रूप से निराश दिख रहीं सुमन ने कहा, "लगभग 13-14 साल हो गए हैं, और हम अभी भी (अपने फ्लैट के पजेशन के लिए) इंतजार कर रहे हैं. हम सात साल से आईबीसी (दिवाला और दिवालियापन संहिता) में हैं. क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? पिछले सात सालों से, हम संघर्ष कर रहे हैं, और हमें सिर्फ तारीख पर तारीख मिलती है.''
सिंगल वीमेन सुमन ने अपना घर बनाने का सपना लेकर बैंक से लोन लेकर 76 लाख से अधिक का निवेश किया, जो अब एक बुरे सपने में बदल गया है.
एनसीएलएटी (राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण) में मुकदमेबाजी प्रक्रिया में देरी ने भी घर खरीदारों के दुखों को बढ़ा दिया है.
तेजेंदर खन्ना एक वरिष्ठ नागरिक हैं और क्रिसेंट होम्स प्रोजेक्ट के एक अन्य घर खरीदार हैं. वे चिंतित हैं कि क्या उन्हें अपने फ्लैट का कब्ज़ा इस जीवनकाल में मिलेगा भी? इस फ्लैट को उन्होंने 2012 में बुक किया था.
घर खरीदार चाहते हैं कि सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कदम उठाएं और मामले को तेजी से सुलझाए. तेजेंदर ने कहा, "मैं केंद्र सरकार और भारत के सर्वोच्च न्यायालय से हम पर दया करने का अनुरोध करता हूं. हम एक फ्लैट खरीदना चाहते थे. हमने कानूनी लड़ाई के लिए इन्वेस्ट नहीं किया था."
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