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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
वीडियो प्रोड्यूसर: माज़ हसन
कोरोनावायरस ने एजुकेशन पर गहरा प्रभाव डाला है. एक तरफ तो महामारी की वजह से स्कूल कॉलेज बंद हैं, वही जेएनयू जैसे संस्थान में इस बंदी के बीच लापरवाही का बड़ा मामला देखने को मिल रहा है. पिछले हफ्ते जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी ( JNU) की TL/OSL प्रयोगशाला खुली तो वहां के पीएचडी छात्र भौचक्के रह गए. मार्च में हुए लॉकडाउन से करीबन 8 महीने बाद खुली इस TL/OSL प्रयोगशाला को दीमक और सीलन ने पूरी तरह तबाह कर दिया.
मार्च के महीने में जब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, तो उन्हें कैंपस छोड़ने के लिए कहा गया था और अभी भी, उन्हें केवल कैंपस के अंदर जाने की अनुमति इसलिए दी है क्योंकि उन्होंने यूनिवर्सिटी से कई बार अनुमति मांगी थी, ताकि ये सारे पीएचडी छात्र अपनी थीसिस जमा कर सकें.
जेएनयू के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ रीजनल डेवलपमेंट (JNU- Centre for the Study of Regional Development) और स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (The School of Social Sciences) के स्टूडेंट्स कई विषयों में पीएचडी कर रहे हैं.
TL/OSL प्रयोगशाला की एक छात्रा ने, हिमालय श्रृंखला के काफी ऊंचाई से नमूने एकत्र किए थे, एक छात्र ने ग्लेशियरों की नदियों से नमूने लाए थे. अब वो सारे नमूने बेकार हो गए हैं .
TL/OSL प्रयोगशाला जनवरी 2016 में पृथ्वी के जलवायु अतीत और वर्तमान जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करते हुए दुनिया की भविष्यवाणी में मदद के लिए बनाई गई थी. जो की भारत में अपने तरह की इकलौती ही थी . जो अब विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा खराब रखरखाव के कारण सिर्फ पांच साल के अंदर ढहने की स्थिति में पहुंच गई है.
PHD छात्रों ने बताया कि वो TL/OSL प्रयोगशाला की देखभाल खुद ही कर रहे थे और खुद ही दीमक और सीलन की सफाई भी , लेकिन उनके जाने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस लैब की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से ये अंजाम हुआ है .
(द क्विंट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के जुड़े लोगों से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाया, प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर अपडेट किया जाएगा.)
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Published: 15 Dec 2020,09:53 PM IST