मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019My report  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दीमक और सीलन खा गई सालों का रिसर्च वर्क, JNU के छात्र परेशान

दीमक और सीलन खा गई सालों का रिसर्च वर्क, JNU के छात्र परेशान

3 साल की खून पसीना बहा देने वाली पीएचडी छात्रों की मेहनत, दीमक चट कर गए .

My रिपोर्ट
My रिपोर्ट
Updated:
3 साल की खून पसीना बहा देने वाली पीएचडी छात्रों की मेहनत, दीमक चट कर गए .
i
3 साल की खून पसीना बहा देने वाली पीएचडी छात्रों की मेहनत, दीमक चट कर गए .
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

वीडियो प्रोड्यूसर: माज़ हसन

कोरोनावायरस ने एजुकेशन पर गहरा प्रभाव डाला है. एक तरफ तो महामारी की वजह से स्कूल कॉलेज बंद हैं, वही जेएनयू जैसे संस्थान में इस बंदी के बीच लापरवाही का बड़ा मामला देखने को मिल रहा है. पिछले हफ्ते जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी ( JNU) की TL/OSL प्रयोगशाला खुली तो वहां के पीएचडी छात्र भौचक्के रह गए. मार्च में हुए लॉकडाउन से करीबन 8 महीने बाद खुली इस TL/OSL प्रयोगशाला को दीमक और सीलन ने पूरी तरह तबाह कर दिया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

छात्रों का क्या कहना है?

मार्च के महीने में जब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, तो उन्हें कैंपस छोड़ने के लिए कहा गया था और अभी भी, उन्हें केवल कैंपस के अंदर जाने की अनुमति इसलिए दी है क्योंकि उन्होंने यूनिवर्सिटी से कई बार अनुमति मांगी थी, ताकि ये सारे पीएचडी छात्र अपनी थीसिस जमा कर सकें.

जेएनयू के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ रीजनल डेवलपमेंट (JNU- Centre for the Study of Regional Development) और स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (The School of Social Sciences) के स्टूडेंट्स कई विषयों में पीएचडी कर रहे हैं.

ये पूरी प्रक्रिया बेकार हो गई है. तीन साल का काम, तीन साल की खून पसीने की मेहनत , ये सब दीमक की वजह से चले गए. ये पूरी तरह से रोका या टाला जा सकता था.
एलोरा चक्रवर्ती, पीएचडी स्कॉलर, जेएनयू

TL/OSL प्रयोगशाला की एक छात्रा ने, हिमालय श्रृंखला के काफी ऊंचाई से नमूने एकत्र किए थे, एक छात्र ने ग्लेशियरों की नदियों से नमूने लाए थे. अब वो सारे नमूने बेकार हो गए हैं .

छात्रों ने ये भी बताया कि ये सारे सैंपल जमा करने में पैसा और मेहनत काफी लगा है और अब ऐसा हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.

यूनिवर्सिटी प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

TL/OSL प्रयोगशाला जनवरी 2016 में पृथ्वी के जलवायु अतीत और वर्तमान जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करते हुए दुनिया की भविष्यवाणी में मदद के लिए बनाई गई थी. जो की भारत में अपने तरह की इकलौती ही थी . जो अब विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा खराब रखरखाव के कारण सिर्फ पांच साल के अंदर ढहने की स्थिति में पहुंच गई है.

हमनें सिक्किम विश्वविद्यालय, NEHU विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय, और लखनऊ विश्वविद्यालय से नमूने एकत्रित किए थे. हम उन्हें खोलने से भी डर रहें हैं क्योंकि ये उनके नमूने हैं और हम अभी उनके लिए जवाबदेह हैं.
इशिता मन्ना, पीएचडी स्कॉलर, जेएनयू 

PHD छात्रों ने बताया कि वो TL/OSL प्रयोगशाला की देखभाल खुद ही कर रहे थे और खुद ही दीमक और सीलन की सफाई भी , लेकिन उनके जाने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस लैब की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से ये अंजाम हुआ है .

(द क्विंट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के जुड़े लोगों से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाया, प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर अपडेट किया जाएगा.)

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 15 Dec 2020,09:53 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT