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भारत - पाकिस्तान एक ही गोत्र के, एक ही मूल के हैं, जो वक्त की मार से और अंग्रेज़ों के षड्यंत्र से दो टुकड़ों में बंट गए. इस बंटवारे को धर्म से जोड़ दिया गया. सबसे पहले यह समझना होगा कि जब कभी किसी परिवार में बंटवारा होता है, तो एक ऐसी दीवार भी खड़ी होती है, जो अहम और अहंकार के सीमेंट के मजबूत जोड़ से बनती है. यही वजह है कि कोई झुकने को तैयार नहीं होता.
इन दो देशों को एक करने के लिए यहां की जनता सबसे अहम भूमिका निभा सकती है. आप विदेशों खासतौर से अमेरिका और यूरोप में रहने वाले दोनों देशों के लोगों पर गौर करें तो पाएंगे कि वहां ये लोग अच्छे दोस्त की तरह रहते हैं. एक दूसरे के प्रति आदर भी रखते हैं. इसके अलावा फिल्मों, गायकी आदि से भी दोनों देशों की जनता खास जुड़ी हुई है.
जनता के मन में इंसानियत ज्यादा है, लेकिन राजनीति की दृष्टि से देखें तो कूटनीति अहम रहती है. कुछ समय पहले बॉलीवुड में ‘बजरंगी भाई जान’ फिल्म आयी थी. उसमें दोनों मुल्कों की इंसानियत को दिखाया गया, जो राजनीति और सेना सबसे ऊपर दिखी. माना की फिल्म काल्पनिक थी, लेकिन दोनों देशों की जनता के मन को बहुत भाई.
आज भी भारत-पाक के लोगों में एक दूसरे के प्रति अपना मन देखने को मिलता है. दोनों देशों की जनता को युद्ध नहीं बल्कि रोजी-रोटी और शांति चाहिए. व्यापार के लिए मार्केट चाहिए, लेकिन राजनीति इन जरुरतों को एक तरफ रखते हुए कूटनीति पर ध्यान देती है. दोनों देशों की बोली में समानता है, पहनावे में समानता है और खाने पीने में भी, सोच भी लगभग एक ही है.
जनता काफी जिम्मेदार और समझदार है, जब अपने-अपने देश के प्रधनमंत्री को चुनने के लिए जनता पर विश्वास किया जाता है, तो फिर इस मसले को हल करने के लिए जनता को दूर क्यों कर दिया जाता है. हल जनता के पास है और उसे मौका दिया जाना चाहिए.
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