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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम, अभिषेक शर्मा
वीडियो प्रोड्यूसर: आस्था गुलाटी
उत्तराखंड में नैनीताल से 20 किलोमीटर दूर, सातताल ( Sattal ) झील स्थित है, जो पक्षियों और वन्यजीवों की दुर्लभ प्रजाति का एक आशियाना है. झील के आस-पास के वनस्पति ( flora ), जीव ( fauna ) और तरह-तरह के पक्षी कई सालों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते आ रहें हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि, इस क्षेत्र में आज भी पर्यावरण शुद्ध हैं.
विधायक संजीव आर्या ने 5 मार्च को ट्वीट करते हुए झील के आसपास के इलाकों को लैंडस्केप वर्क द्वारा विकसित करने के बारे में बताया.
आसपास में भूमि पूजन की तस्वीरें लगाई गई, जो की लोकल लोगों के पर्यावरण सेंसिटिव इलाके में घुसने के डर को साफ दिखाता है.
अधिकतर स्थानीय लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जंगल और वहां की बायो डाइवर्सिटी (Bio Diversity) पर निर्भर हैं. उन्हें इस बात का डर है कि इस नये प्रस्ताव से जंगल के पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है.
रोजमर्रा और पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा इसकी कोई जांच नहीं हुई है. मई के महीने में, स्थानीय निवासियों ने एक RTI वन विभाग, सिंचाई विभाग, कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN), और उत्तराखंड आवास और शहरी विकास अथॉरिटी में फाइल की, जिसमें उन्होंने प्रोजेक्ट के डिटेल्स के साथ-साथ प्रोजेक्ट के लिए प्राप्त मंजूरी की मांग की. इन सवालों का जवाब अब तक नहीं मिल पाया है. (क्विंट को आरटीआई की कॉपी मिली )
ऐसे समय में जब हम पहले से ही पर्यावरण संकट का सामना कर रहे हैं, ये देखना निराशाजनक है कि सरकार इन जोखिमों को अनदेखा कर रही है, खासकर ऐसे नाजुक इको-सिस्टम में. 'सौंदर्यीकरण' के बहाने कोई शहरीकरण नहीं कर सकता. जून के शुरूआती दिनों में, स्थानीय लोगों के दवाब पर कुछ समय के लिए काम को रोक दिया गया था.
सातताल में कोई भी निर्माण और स्थायी संरचना पक्षियों की प्रजातियों को दूर भगा देगा, जो की करीब 500 हैं.
इस प्रोजेक्ट के डिटेल्स अभी भी स्पष्ट नहीं हैं और इलाके की बायोडायवर्सिटी ( Biodiversity ) गंभीर संकट में है, हमारे द्वारा Change.org याचिका में सातताल को 'संरक्षण आरक्षित' (conservation reserve) घोषित करने की मांग की जा रही है.
क्विंट ने कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) के एक अधिकारी से बात की, जो एक सरकारी संगठन है जिसे नए प्रोजेक्ट को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है. नाम न बताए जाने की शर्त रखते हुए जिस अधिकारी ने क्विंट से बात की, उन्होंने बताया कि लैंडस्केपिंग का काम, नेशनल लेक कंजर्वेशन (National Lake Conservation) का हिस्सा है जिसे 2003 में अनुमति दी गई थी. जबकि तत्काल काम लोकल पदार्थ का इस्तेमाल करके खूबसूरती बढ़ाने और माहौल को सही तरीके से मैनेज करने के लिए हो रहा है.
अधिकारी ने आगे ये भी बात कही की, यहां कोई चिल्ड्रन पार्क, पार्किंग स्थान या व्यू पॉइंट नहीं बनेगा. बल्कि, चिड़ियों के लिए एक eco पार्क बनाया जाएगा. कोई नई दुकान नहीं बनेंगी. मंजूरी दी गई 20 में से आठ दुकानों का ही निर्माण होगा, जिसमें से 2011 में 12 दुकानें बन चुकी हैं.
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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