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लद्दाख: ‘खराब नेटवर्क के कारण फॉर्म तक नहीं भर पाते, कैसे पढ़ें?’

त्याक्षी गांव में इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब होने के कारण छात्रों को करनी पड़ रही है 10-20 किमी तक की यात्रा  

गुलाम हुसैन
My रिपोर्ट
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

त्याक्षी , भारत के केंद्र शासित प्रदेश-जम्मू एवं कश्मीर में एक छोटा सा गांव है. पाकिस्तान के साथ 1971 युद्ध के बाद त्याक्षी गांव भारत का हिस्सा बन गया , जो भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा से सिर्फ 2.5 किलोमीटर दूर है .

ये गांव युद्ध के 48 साल बाद भी अपना वजूद ढूंढ रहा है. नियंत्रण रेखा के करीब होने की वजह से यहां पर इंटरनेट की कनेक्टिविटी बहुत ही ज्यादा खराब है. इस केंद्र शासित प्रदेश में अनियमित इंटरनेट सेवाएं कोई बहुत बड़ी खबर नहीं है लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूल कॉलेज बंद हुए हैं. ऑनलाइन क्लास में भाग लेने के लिए यहां के छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा मौजूद नहीं है. जिसकी वजह से यहां के बच्चे बाकी जगहों के बच्चों से शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं .

यहां पर उचित इंटरनेट की सुविधा नहीं है , इसलिए मुझे अपना ये वीडियो क्विंट को भेजने में 4 दिन लग गए .

3G इंटरनेट भी नहीं है उपलब्ध

जहां पूरा देश 4G कनेक्शन की सुविधाएं उठा रहा है, त्याक्षी गांव में ढंग से 3G का नेटवर्क भी नहीं आता है .छात्रों को इंटरनेट की तलाश में दूर जाना पड़ता है , इसलिए यहां के छात्र अपने स्कूल एवं कॉलेजों की ऑनलाइन क्लास सही समय पर नहीं कर पाते हैं .

हमें अपनी ऑनलाइन क्लास ज्वाइन करने के लिए कम से कम 10 से 20 किलोमीटर चलना पड़ता है और लेह लद्दाख के इस मौसम में किसी खाली जगह पर बैठ कर क्लास अटेंड करना काफी मुश्किल भरा होता है .
आरिफ हुसैन , कॉलेज स्टूडेंट

बहुत से छात्रों के पास गाड़ी की सुविधा नहीं है, तो उन्हें इन सर्दियों में चल कर ही अपनी ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेना पड़ता है .

मेरी ज्यादातर ऑनलाइन क्लासेज छूट गई हैं. मैं अपना एग्जाम फॉर्म भी नहीं भर पाया था . अगर हमें कोई भी ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है तो हमें 85 किलोमीटर दूर गांव के मुख्यालय (नुब्रा) में जाना पड़ता है . 
गुलजार अहमद, कॉलेज स्टूडेंट
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन त्याक्षी गांव में थोड़ा भी इंटरनेट नहीं चलता है. भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे अन्य गांव जैसे नुब्रा, द्रास और कारगिल में 4G सुविधाएं मौजूद हैं पर इस गांव में ठीक से 3G का भी नेटवर्क नहीं आता. कुछ सालों पहले भी त्याक्षी गांव में एक 3G टावर लगाया गया था लेकिन वो अभी तक सक्रिय नहीं हुआ है .

कोई सुनने वाला नहीं

त्याक्षी गांव के छात्र लद्दाख सरकार से अनुरोध कर रहें हैं कि उन्हें बेहतर 3G या 4G इंटरनेट सुविधाएं दी जाएं ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. गांव में बीएसएनएल एकमात्र काम करने वाला नेटवर्क है लेकिन वो भी सिर्फ सुबह के समय ही काम करता है .

मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि पहले से लगे 3G टावर को ठीक किया जाए. सरकार को जियो या एयरटेल द्वारा 4G इंटरनेट की सुविधाएं छात्रों के लिए उपलब्ध करानी चाहिए.
आरिफ हुसैन कॉलेज स्टूडेंट

हमने खराब इंटरनेट के खिलाफ कई सारी शिकायतें दर्ज की है लेकिन किसी ने यहां के स्थानीय लोगों के मुद्दों का हल नहीं निकला है या ना ही हल करने में मदद की है .लद्दाख के इन छोटे गांवो में मौजूद छात्रों का भविष्य अनिश्चितता से भरा है . अगर यहां पर इंटरनेट की सुविधा बहाल नहीं हुई तो लद्दाख के ये छात्र बाकी किसी अन्य राज्य के छात्रों से काफी पीछे हो जाएंगे और यह त्याक्षी गांव के छात्रों के साथ भेदभाव होगा.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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