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Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019My report  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मैं तिरंगा हूं तुम मुझे कैसे बांट पाओगे-नीरज कुकरेती

मैं तिरंगा हूं तुम मुझे कैसे बांट पाओगे-नीरज कुकरेती

इस गणतंत्र दिवस, ‘हिंदुस्तान’ के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.

नीरज कुकरेती
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इस गणतंत्र दिवस, ‘हिंदुस्तान’ के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.
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इस गणतंत्र दिवस, ‘हिंदुस्तान’ के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.
फोटो:क्विंट हिंदी

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तिरंगा,

तुम मुझे बांट नहीं सकते
तुम अलग नहीं कर पाओगे
लाख कर लो तरकीबें
हर मरतबा मुंह की खाओगे
हिन्दू मैं तेरा भगवा नहीं
न ओ मुस्लिम मैं तेरा हरा
जो भारत को माने
मैं बस उसी का हूं
तुम मुझे चोट कर सकते हो
अलग नहीं कर पाओगे...

तुम ताकतवर होगे
तुम्हारा रसूख होगा
पर मैं जिसके पास कुछ नहीं
उस गरीब का साथी हूं
तुम मुझे उस से अलग नहीं कर सकते
तुम्हारा होगा कोई धर्म
मेरा धर्म तो भारत है

मैं सैनिक का कफन हूं
उसके सीने से मुझे छीन नहीं पाओगे
हां तुम बांट लोगे बहुत से लोगों को
पर मैं उन फटे हाथों में रहूंगा
जो मेरी बात करेंगे
मैं ढूढेंगा उस एक को
जो मुझे तीन रंगों में अपने हाथ में ले
तुम देखते रह जाओगे
मैं तिरंगा हूं तुम मुझे कैसे बांट पाओगे?

नीरज कुकरेती,पौड़ी गढ़वाल
उत्तराखंड

इस गणतंत्र दिवस, क्विंट हिंदी अपना कैंपेन 'लेटर टू इंडिया' वापस लेकर आया है. इस गणतंत्र दिवस, 'हिंदुस्तान' के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.

बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे...

इस गणतंत्र दिवस, ‘हिंदुस्तान’ के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.फोटो:क्विंट हिंदी

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