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बंधवाड़ी में वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट को लेकर गुरुग्राम, दिल्ली के लोगों का विरोध

लोगों ने कहा यह प्लांट बड़े पैमाने पर वायु, जल और भूमि प्रदूषण का कारण बनेगा

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<div class="paragraphs"><p>गुरुग्राम और दिल्ली के लोगों ने प्लांट के खिलाफ किया प्रदर्शन</p></div>
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गुरुग्राम और दिल्ली के लोगों ने प्लांट के खिलाफ किया प्रदर्शन

(फोटो: accessed by Quint Hindi)

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बंधवाड़ी में वेस्ट -टू-एनर्जी प्लांट को लेकर गुरूग्राम, फरीदाबाद और दिल्ली के लगभग 200 लोग अरावली जंगल के बीच में कूड़े के पहाड़ के निकट बांधवारीम , मंगर और ग्वाल पहाड़ी के गांव में विरोध के लिए जमा हुए. बता दें हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अरावली के जंगलों में कूड़े के पहाड़ के निकट 25 मेगावाट का वेस्ट टू एनर्जी (डब्ल्यूटीई) प्लांट प्रस्तावित हैं. लेकिन ये प्लांट अब विवादों में है. लोगों का कहना है कि ये प्लांट प्रदूषण का कारण बनेगा. इसलिए 31 अगस्त की हुई जनसुनवाई में लोगों ने इसका जमकर विरोध किया.

वेस्ट टू एनर्जी (डब्ल्यूटीई) प्लांट लिए नोटिस

फोटो - अरावली बचाओ सिटीजन समिति

गुरूग्राम नगर निगम ने इस प्लांट का प्रस्ताव पहले 15 मेगावाट रखा था. लेकिन अब उसकी क्षमता को 25 मेगावाट करना चाहता है.

जन सुनवाई में इस प्लांट को लेकर कई नागरिकों और समूहों द्वारा आपत्ति पत्र प्रस्तुत किए गए, जिसमें सिटीजन फॉर क्लीन एयर और एनसीआर वेस्ट मैटर्स के सदस्य शामिल थे. कई सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स जैसे डॉ. श्यामला मणि, केरल के शिबू नायर, और मुंबई से वनशक्ति जैसे अखिल भारतीय पर्यावरण समूह, बेंगलुरु से टॉक्सिक्स वॉच, SWMRT (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट राउंड टेबल) ने भी ई-मेल के जरिए अपनी शिकायत दर्ज कराई. इतने लोगों की शिकायत से पता चलता है कि अरावली बचाओ नागरिक समूह अरावली में आने वाले डब्ल्यूटीई प्लांट पर तीखी आपत्ति क्यों कर रहा है.

ग्रीन एक्टिविस्ट ने बताया कि यह प्लांट न केवल बड़े पैमाने पर वायु, जल और भूमि प्रदूषण का कारण बनेगा, यह उस जंगल को भी मार देगा जो पहले से ही भूमि और खनन माफिया के हाथों धीमी मौत से मर रहा है.

लोगों ने बताया है कि जिस क्षेत्र में डब्ल्यूटीई प्लांट प्रस्तावित किया जा रहा है. वह कई जीव जंतु जैसे तेंदुआ, शहद बेजर, सुर्ख नेवला, आदि का निवास है. वहीं, उसके पास में मंगर बानी के पवित्र ग्रोव मे पक्षियों की 219 प्रजातियां हैं, उनमें वे भी शामिल हैं जो "राष्ट्रीय स्तर की गिरावट" दिखा रहे हैं. बता दें, ग्रोव सबसे अच्छी तरह से संरक्षित वनस्पति की मेजबानी भी करता है.

एनसीआर के पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए अरावली के जंगलों के साथ-साथ मंगर बानी का संरक्षण करना भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. अगर इस क्षेत्र में WTE प्लांट लगाया जाता है तो वह पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा होगा.

जनसभा के दौरान, ग्रामीणों और नागरिकों ने मौजूदा बांधवाड़ी लैंडफिल के साथ-साथ प्रस्तावित ऊर्जा प्लांट के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बात की.

मंगर गांव के एक पर्यावरण योद्धा हरसाना ने बताया कि प्रदूषण फैलाने वाला डब्ल्यूटीई प्लांट केवल ग्रामीणों के स्वास्थ्य की समस्या को क्यों बढ़ाएगा.

मैं अधिकारियों से पूछना चाहता हूं, अगर वे वास्तव में इसे सही मायने में 'जन सुनवाई' करना चाहते हैं, तो वे इसे उन गांवों में क्यों नहीं आयोजित कर रहे हैं जहां महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं? अधिकारियों के बीच कैंसर से मरने वाले ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए कोई चिंता क्यों नहीं है क्योंकि बांधवारी लैंडफिल से निकलने वाले जहरीले लीचेट से भूमिगत जल दूषित होता है, जहां हर दिन गुरुग्राम और फरीदाबाद शहरों से 2,000 टन मिश्रित कचरा डंप किया जाता है.
सुनील हरसाना, पर्यावरण योद्धा

ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को साझा किया और अधिकारियों से जवाब और कार्रवाई की मांग की. दूषित पानी से होने वाले कैंसर के मामले और मवेशियों की मौत, लैंडफिल से प्रदूषित हवा के कारण होने वाले फेफड़े के रोग और साइट पर मच्छरों और मक्खियों की फौज कुछ प्रासंगिक मुद्दे हैं.

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बांधवाड़ी में प्रस्तावित डब्ल्यूटीई प्लांट से निकलने वाली नीचे की राख अरावली जंगल में सतही जल निकायों को पूरी तरह से नष्ट कर देगी, हवा को प्रदूषित करेगी और एनसीआर शहरों को खिलाने वाले भूमिगत जल जलभृतों को दूषित करेगी, जिससे लाखों निवासियों के जीवन को खतरा होगा.

डब्ल्यूटीई प्लांट समस्याग्रस्त क्यों हैं?

सितंबर 2020 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट से पता चला है कि दिल्ली के ओखला, बवाना और गाजीपुर क्षेत्रों में स्थित ऊर्जा संयंत्रों से निकलने वाला कचरा रसायनों का एक जहरीला मिश्रण छोड़ रहा है, जैसे कि डाइऑक्साइन्स, फुरान, पीएम 2.5 और पर्यावरण में अत्यधिक प्रदूषणकारी तली राख के रूप में. पीएम 2.5 कणों के अंदर जाने से हृदय संबंधी रोग, फेफड़े का कैंसर, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और श्वसन संबंधी जैसी बीमारियां हो सकती हैं.

अरावली बचाओ नागरिक आंदोलन से नीलम अहलूवालिया ने उपस्थित सभी लोगों से पूछा कि क्या वे प्लांट और इसके विस्तार के पक्ष में हैं. पूरी जनता ने कहा "नहीं".

नीलम ने गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए स्थायी कचरा प्रबंधन योजना पर चर्चा करने के लिए अधिकारियों, नागरिकों और कचरा विशेषज्ञों के बीच एक गोलमेज चर्चा की मांग की.

एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी श्री कुलदीप सिंह ने सहमति जताते हुए कहा कि गुरुग्राम नगर निगम आवश्यक कार्रवाई करेगा.

अरावली बचाओ नागरिक आंदोलन जहरीले बांधवाड़ी लैंडफिल और प्रस्तावित कचरे से ऊर्जा प्लांट तक अरावली को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखेगा. अरावली से लैंडफिल को हटाने, जंगल में डब्ल्यूटीई प्लांट बनाने की योजना को रद्द करने और गुरुग्राम और फरीदाबाद में एसडब्ल्यूएम नियमों को लागू करने की मांग को लेकर हम कई देशव्यापी ट्वीट-स्टॉर्म कर रहे हैं. 2020 और 2021 में लैंडफिल पर स्कूली बच्चों के साथ कई ऑन-ग्राउंड विरोध भी किए गए हैं.

जुलाई 2021 में, अरावली बचाओ समूह के सदस्यों ने एक जन शिकायत निवारण बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर से मुलाकात की, और समस्या के स्थायी समाधान पर चर्चा करते हुए लैंडफिल को हटाने के लिए एक याचिका प्रस्तुत की. इसी तर्ज पर एक याचिका भी बनाई गई थी.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है, जिसे क्विंट पेश करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इससे क्‍व‍िंट का सहमत होना जरूरी नहीं है.)

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