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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के शुरुआती दौर को याद करते हुए दिशा दुबे बताती हैं कि, 24 फरवरी 2022, यह तारीख जब तक मैं जिंदा हूं, हमेशा याद रखूंगी. सुबह के करीब 4 बजे थे जब मैंने धमाकों की आवाजें सुनीं और मेरे कमरे के दरवाजे और खिड़कियां हिलने लगीं.
मैं अपने फ्लैट से निकल गई. हजारों लोग सड़कों पर जमा हो गए थे, और जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है. मैं पूर्वी यूक्रेन के खार्किव शहर में रह रही थी और वीएन कारजिन नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई कर रही थी.
जिस समय युद्ध शुरू हुआ उस समय सभी लोग डरे हुए थे. तब किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि पहली बार हमने सायरन और लोगों की इतनी बड़ी भीड़ देखी थी.
मैं जनवरी 2022 में भारत से आई थी. एक महीने बाद ही हमला हो गया. 2020 में, मैंने अपने पिता को भारत में खो दिया. साल 2021 व्यक्तिगत संघर्ष का साल रहा. मैं आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थी. मैं एजुकेशन लोन पर पढ़ाई कर रही एक छात्र हूं.
मैं बहुत संघर्षों के बाद यूक्रेन आई थी, मैं अपनी पढ़ाई शुरू कर रही था और यह मेरे दिनचर्या में शामिल हो रहा था. अचानक, मैं समझ नहीं पा रही थी कि हमला होने पर क्या किया जाए. यह एक ऐसी स्थिति थी जहां मुझे यह भी पता नहीं था कि मुझे समय पर डिग्री मिल सकती है या नहीं. अगर मुझे डिग्री मिलती है, तो क्या यह भारत सहित सभी देशों के लिए मान्य होगी? यह अब भी सभी के लिए सबसे बड़ा सवाल है.
हमने धीरे-धीरे सीखा कि यहां के लोग जानते हैं कि युद्ध के समय क्या करना चाहिए. हम अपनी बिल्डिंग के बंकरों में छिपे थे. बहुत घुटन हो गई थी, इसलिए हम सबवे में शिफ्ट हो गए. मेट्रो में हमें थोड़ी बहुत बिजली मिलती थी और खाना बांटा जाता था. तब भारत सरकार ने गंगा मिशन की शुरुआत की.
जब हम रेलवे स्टेशन पहुंचे तो प्राथमिकता के मुताबिक ट्रेन में चढ़ने को लेकर मारपीट होने लगी. उन्होंने आदेश निर्धारित किया था- पहले यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे, फिर अन्य यूक्रेनी नागरिक और उसके बाद भारतीय महिलाएं और अंत में भारतीय पुरुष ट्रेन में सवार होंगे
ट्रेन को लविवि पहुंचने में 27 घंटे लगे. वहां से हमने हंगरी बॉर्डर के लिए एक वैन बुक की, जहां हमारे रेस्क्यू के लिए भारतीय अधिकारी मौजूद थे.
हम इंतजार कर रहे थे कि भारत सरकार हमें निजी कॉलेजों या सरकारी कॉलेजों में समाहित कर लेगी या वे हमारे लिए एक नया संस्थान शुरू करेंगे. हमें उम्मीद थी कि भारत सरकार हमारे लिए कुछ करेगी. अब तक, हमारी समस्या का समाधान होना बाकी है.
अगर युद्ध की स्थिति बढ़ती है, जैसा कि सभी कह रहे हैं कि होगा, तो मुझे नहीं पता कि मुझे समय पर डिग्री मिलेगी या नहीं या मुझे फिर से भारत लौटना होगा. अभी के लिए, मुझे लगता है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो मुझे समय पर मेरी डिग्री मिल जाएगी, और फिर मैं भारत वापस जाउंगी और एफएमजीई (विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा) पास करके अपना करियर शुरू करूंगी. मुझे उसकी उम्मीद है.
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