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संदेश to a Soldier: ‘मेरी तपोभूमि और मैं’

स्वतंत्रता दिवस पर भेजिए अपना संदेश एक जवान को 

पारुल मेहता
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प्रिय सैनिक,

मेरी तपोभूमि और मैं

हे मेरी मातृभूमि, प्रणाम है तुम्हें मेरा

हर भोर में छिपा है, नया विश्वास

हर मौसम में है, स्पर्श तेरा

बीज बनकर जन्मा हूं मैं तेरे हृदय से

सपनों ने भरी है उड़ान

और प्रतिबिंब हूं आज तेरा

और उन्मुक्त हूं आज

हे अन्नपूर्णा मां, नमस्कार है तुम्हें मेरा

सपनों ने भरी है उड़ान, ऊंचाईयों में है मेरा कुटुंब

जीत या हार, समाहित है हर भाव मुझमें

मेरा भरण पोषण तुझी से है

और मेरा अस्तित्व भी तुझी से है मां

और मजबूत हूं आज

हे मेरी जन्मभूमि, नमन है तुम्हें मेरा

सुख-दुख की छावों में फला-फूला हूं मैं

और मेरे परिश्रम का प्रमाण देती है ये उषा बेला

हर रंग में हूं मैं, हिस्सा इस भीड़ का, रफ्तार तेज है मेरी

आकांक्षाओँ से परिपूर्ण हूं, बुलंद है हौसले आज

हे मेरी कर्मभूमि, अभिनंदन स्वीकार करो तुम मेरा

दस्तके सुनता रहता हूं किसी आने वाले अनकहे तूफान की

मगर उल्लेखनीय है मेरा साहस

रिश्ता है तेरा मेरा मजबूत बड़ा

गरिमापूरण होगी मेरी पहचान, जिस दिन तिरंगे में लिपटकर आऊंगा मैं मां

दस्तकें सुनता रहता हूं किसी आने वाले अनकहे तूफान कींदे

और अर्पण हैं तुम्हें, मेरा कर्म, तन-मन-विश्वास

और आजाद हूं आज

हे मेरी मातारूपी धरती, नतमस्तक हूं मैं

मेरे स्वदेशी लहू का रंग सुर्ख लाल है

मिलकर बना है ये

हरे, सफेद और केसरिया से

मेरा पराक्रम और धीरज से सींचा है मैंने, मेरे देश की मिट्टी को

जो पहचान है मेरी आज

मेरा आज और कल, है अर्थपूर्ण तुमसे धात्री

जय हिंद

पारुल मेहता

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