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Sikkim Floods: अरुणाचल प्रदेश से एक सड़क यात्रा पूरी करके, मैं भाग्यशाली था कि 3 अक्टूबर की शाम सिलीगुड़ी गंगटोक एनएच 10 को पार कर चुका था. 24 सितंबर को लावा के रास्ते यात्रा की थी. 4 अक्टूबर को जब तीस्ता नदी के तट पर तबाही मची, तो सिंगतम, रंगपो और मेली की तस्वीरें समझ से परे थीं.
मुझे अपने ससुराल वालों तक पहुंचने में 4-5 घंटे लग गए, जो सिंगताम में रहते हैं. वो तीस्ता से थोड़ी दूर ऊंची जगह पर हैं, इसलिए हमें पता था कि वे सुरक्षित हैं. दूसरी तरफ, मेरे पिता नामची उसके पास के हमारे पारिवारिक घर में थे. वे सुरक्षित थे, लेकिन पुल बह गए थे, इसलिए वे वापस नहीं जा पा रहे थे. उम्मीद है कि अब वे घर वापस जा पाएंगे.
4 अक्टूबर को भारी बारिश के बाद सिक्किम में ल्होनक ग्लेशियर टूट गया, जिससे घाटी को ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) का शिकार होना पड़ा. हालांकि, गंगटोक इससे सीधे तौर पर प्रभावित नहीं है.
4 अक्टूबर को सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा कि कोई भी पेट्रोल पंप एक दिन में एक गाड़ी पर 20 लीटर से ज्यादा HSD (हाई स्पीड डीजल) और 15 लीटर से ज्यादा MS (मोटर स्पिरिट) नहीं दी जाएगी.
गंगटोक को अपनी जरूरत का ज्यादातर सामान और तेल सिलिगुड़ी से मिलता है. सिलिगुड़ी और गंगटोक के बीच 100 किलोमीटर की दूरी है, जिसमें आम तौर पर 3 से 4 घंटे लगते हैं. हालांकि, फ्लैश फ्लड के कारण सिंगतम, रंगपो और मेली मार्ग से संपर्क टूट गया है. वैकल्पिक रास्ते से ये दूरी 200 किलोमीटर की हो जाती है जिसमें रोड से यात्रा करने पर 9 से 10 घंटे लगते हैं.
इसका नतीजा ये है कि गंगटोक आने वाले तेल, सब्जी और फलों की सप्लाई बाधित हुई है. सरकार सक्रियता से जमाखोरी, कालाबाजारी और ज्यादा पैसा वसूलने से रोकने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं.
"घबराहट में खरीदारी को रोकने के लिए, गंगटोक नगर निगम ने 5 अक्टूबर को सब्जियों की दरें तय कीं."
सरकार ने प्रभावित इलाके में सिंगतम जिला अस्पताल और अन्य पीएचसी से डॉक्टरों और टीमों को तैनात किया है. सरकार का कहना है कि राज्य के दो सबसे प्रमुख अस्पताल, सर थुटोब नामग्याल मेमोरियल (STNM), मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल (सरकारी) और सेंट्रल रेफरल हॉस्पिटल (प्राइवेट टीचिंग मेडिकल कॉलेज), दोनों किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं.
आपदा टीम और पुलिस ने रात में ही गश्त, माइकिंग और सायरन बजाकर पूर्व चेतावनी दी जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने में मदद मिली. कथित तौर पर आपदा से पहले निचले इलाकों में पुलिस लोगों से अपने घर खाली करने के लिए कह रही थी. सिक्किम की कम आबादी और अधिकारियों की सक्रिय चेतावनी ने शायद मरने वालों की संख्या को काफी कम रखा, लेकिन विस्थापितों की संख्या, सड़क और बुनियादी ढांचे की क्षति और संपत्ति का नुकसान काफी ज्यादा है.
शुक्र है, आज, 6 तारीख को तेज धूप निकली. अस्पताल में हम डॉक्टर राहत शिविरों की सहायता के लिए कार्यबल और सामान जुटा रहे हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि स्थिति जल्द ही बेहतर हो जाएगी.
(डॉ. मोहनीश SMIMS में प्रोफेसर और प्रमुख ईएनटी हैं और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सिक्किम के राज्य सचिव हैं. ऊपर व्यक्त किए गए विचार उनके व्यक्तिगत हैं. क्विंट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)
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