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सिंघु बॉर्डर: शौचालय नहीं, पानी नहीं लेकिन डटी हुई हैं ये महिलाएं

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में कई लोगों को मुसीबतों का सामना कर पड़ रहा है,

क्विंट हिंदी
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26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद सिंघू बॉर्डर कर दी गई थी  
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26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद सिंघू बॉर्डर कर दी गई थी  
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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प्रोड्यूसर: आस्था गुलाटी

वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में कई लोगों को मुसीबतों का सामना कर पड़ रहा है. 26 जनवरी को हुई झड़प के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के कई बॉर्डर सील कर दिए, बैरिकेड और कीलों से रास्ते बंद कर दिए गए हैं. जिसके कारण कई जगहों पर पानी और शौचालय की व्यवस्था पर असर पड़ा है. लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं इसके कारण सबसे ज्यादा दिक्कत उन महिला किसान प्रदर्शनकारियों को हो रही है, जो दो महीने से सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर प्रदर्शन कर रही हैं.

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बॉर्डर पर कई चीजों पर सख्ती बढ़ने के बाद प्रदर्शनकारी किसान शौचालय और बायो-टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

बॉर्डर पर कंक्रीट वॉल बनने के बाद कई प्रदर्शनकारी किसान शौचालय और बायो-टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. मैं 55 साल की हूं, मुझे दिन भर इंतजार करना पड़ता है और जब अंधेरा होता है तब ही मैं शौच के लिए जा पाती हूं. जो शौचालय हम महिलाएं इस्तेमाल करती थीं वो बैरिकेड के उस पार है, 26 जनवरी के बाद ऐसा लगा वो हमसे हमारा खाना भी छीन लेंगे.
अनीता, प्रदर्शनकारी

कुछ वृद्ध महिलाओं के लिए दूर तक चलना काफी कठिन है, इतनी ठंड में हाईवे पर बने शौचालय तक चल कर जाना मुश्किल है.

हमें काफी दूर तक जाना पड़ता है, मेरी तरह यहां कई महिलाएं हैं जो 60-70 साल की हैं, इतनी उम्र में ज्यादा चलना क्या ठीक है? इन सभी परेशानियों के बाद भी हम यहां अपने हक़ कि लड़ाई लड़ रहे हैं.
प्रदर्शनकारी

साफ-सफाई ही इन प्रदर्शनकारियों की परेशानी नहीं है, लगातार बिजली की कटौती होती है जिसके कारण पानी नहीं मिल पाता है लेकिन इन सब कठिनाइयों के बावजूद प्रदर्शनकारी किसान डटे हुए हैं.

‘वो बिजली काट देते हैं, पानी की सपलाई नहीं करते, लेकिन हम किसान हैं. हम खेतों में कई वक्त तक भूखे प्यासे काम करते हैं, अगर हम पूरे दिन भी खाना और पानी न हासिल कर पाएं तो भी हम झेल सकते हैं, हम सब झेल सकते हैं, लेकिन यहां से तब तक नहीं हटेंगे जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती.
प्रदर्शनकारी

यहां कुछ महिलाएं हैं जो अपने बच्चों के साथ आई हैं और तीन महीने से यहां डटी हुई हैं.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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