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Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019My report  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 “महीनों में चिट्ठी आती थी, तो उसे बार-बार पढ़ते थे”

“महीनों में चिट्ठी आती थी, तो उसे बार-बार पढ़ते थे”

आज तो हर जवान फोन के जरिए अपने परिवार से जुड़ा है, लेकिन जब चिट्ठी आती थी तो कैसा एहसास था, जानिए जवानों से

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वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा
रिपोर्टर: बिलाल जलील
कैमरा: संजॉय देब

कभी आपने सोचा है कि हमारे बहादुर जवानों के लिए संदेश के क्या मायने होते हैं? थोड़ा सोचें और अंदाजा लगाएं तो एहसास होगा कि हमारे जवानों के लिए अपने परिवार की सलामती का संदेश एक अलग सुकून और भरोसा है.

आज के वक्त में लगभग सभी जवान फोन के जरिए अक्सर अपने परिवार से जुड़े रहते हैं, लेकिन क्विंट से बात करते हुए उन्होंने याद किया वो दौर जब घर से आता था संदेश और मिलती थी अलग खुशी.

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बीएसएफ के जवान रविंद्र सिंह याद करते हुए कहते हैं कि जब चिट्ठी आती थी तो ऐसा लगता था कि लंबे समय बाद किसी अपने से मिल रहा हूं.

“पहले चिट्ठियां आती थीं. अब तो मोबाइल का जमाना है. 2001 में जब हम सेना में आए थे तब चिट्ठियां आती थी.”
रविंद्र सिंह, बीएसएफ

रविंद्र सिंह कहते हैं कि महीनों में चिट्ठियां आती थीं और जब मिलती थीं तो वो उन्हें बार-बार पढ़ते थे.

“महीना लग जाता था, घर से चिट्ठी पहुंचने में. जब (चिट्ठियां) आती थी, तब बार-बार पढ़ते थे. जब तक छुट्टी पर (घर) नहीं जाते थे, तब तक बार-बार पढ़ते थे. जो एहसास था, वो अलग था.”
रविंद्र सिंह, बीएसएफ

विक्रम सिंह कहते हैं,

“कभी इमरजेंसी में टेलीग्राम आता था. टेलीग्राम एक हफ्ते में पहुंचता था. ट्रेन के सफर में 4-5 दिन लग जाते थे.”

शिवाजी राव चिट्ठी के इंतजार को अच्छे से बयां करते हैं और कहते हैं कि कितना वक्त लगता था और कैसे वो उस वक्त को काटते थे.

“पहले चिट्ठी आने में 15-20 दिन लग जाते थेइसके लिए हम 24 घंटे में भी मिनट और सेकेंड गिना करते थे.”
<b>शिवाजी राव</b>

अगर आपको कभी किसी फौजी से कुछ कहना हो, जिससे आप कभी न मिले हों, तो क्या कहेंगे? क्या संदेश आपका होगा? स्वतंत्रता दिवस के मौके पर क्विंट हिंदी आपसे कहना चाहता, देश के जवानों के नाम संदेश लिखिए और रिकॉर्ड कीजिए. उन तक अपनी बात पहुंचाइए. ये वो जवान हैं, जो बहादुरी से हर हाल का सामना करने लिए डटे हुए हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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Published: 14 Aug 2019,11:07 PM IST

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