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ताज महल की खूबसूरती से अनजान दिव्यांग कब बोल पाएंगे ‘वाह ताज’?

7 अजूबों में से एक ताज महल की खूबसूरती से अनजान हैं दिव्यांग!

क्विंट हिंदी
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 दिव्यांग कब बोल पाएंगे ‘वाह ताज’?
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दिव्यांग कब बोल पाएंगे ‘वाह ताज’?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: दीप्ती रामदास

वीडियो प्रोड्यूसर: आस्था गुलाटी

हाल ही में दृष्टिहीन लोगों का एक ग्रुप ताज महल घूमने के लिए आगरा पहुंचा. ग्रुप का एस्कोर्ट होने के नाते मैंने उनकी तकलीफों को करीब से देखा कि कैसे उन्हें ताज महल, आगरा का किला और फतेहपुर सीकरी जैसे किले में घूमने में परेशानी आई.

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हम अक्टूबर के पहले हफ्ते में ताज महल घूमने के लिए आए. हमारा सिक्योरिटी चेक क्लीयर हुआ फिर हम ताज और ताज म्यूजियम में गए. हमें पूरा टूर खत्म करने में लगभग 3 घंटे लग गए जिसमें मैंने हर एक सेकंड लुत्फ उठाया लेकिन मेर दोस्त ऐसा महसूस नहीं कर सके.

इसकी वजह खुद मेरे दोस्त, JNU के बसंत बहेरा ने बताई कि पूरे कॉम्प्लेक्स में ब्रेल इन्स्क्रिप्शन बहुत मुश्किल से मिलती है, पूरे कॉम्प्लेक्स में सिर्फ एक जगह ही ब्रेल इन्स्क्रिप्शन है ओर वो भी ताज महल के सामने स्टील प्लेट पर, लेकिन वो धूप में काफी गर्म हो चुकी थी तो वो उसे छूकर भी जानकारी हासिल कर पाने में सक्षम नहीं थे.

बसंत बताते हैं कि हर जगह ऐसी असुविधा नहीं होती. उदाहरण के तौर पर उन्होंने दिल्ली की राष्ट्रीय म्यूजियम का जिक्र किया. वहां ब्रेल इन्स्क्रिप्शनके साथ-साथ ऑडियो मजीरियल भी मौजूद है ताकि दिव्यांग भी चीजों को बेहतर तरीके से समझ सकें.

नेशनल म्यूजियम में हमें एक स्पेशल गाइड दिया गया हमारी सहायता के लिए. ये बहुत दुख की बात है कि इतने बड़े राष्ट्रीय स्मारक ताज महल के लिए ये सुविधाएं दिव्यांग लोगों को नहीं दी गई.
बसंत बहेरा

ओडिशा के रहने वाले प्रोफेसर अमित कुमार मोहंती पोलिटिकल साइंस पढ़ाते हैं, उनका कहना है कि देशभर में ऐसे कुछ ही स्मारक हैं जो दिव्यांग लोगों के लिए बनाए गए हैं. ताज महल भारत की टूरिस्ट इकनॉमी का बड़ा हिस्सा है. मोहंती का सोचना था कि ऐसा सभी समरकों के साथ है लेकिन दुनिया के 7 अजूबों में से एक को घुमने के बाद उनका नजरिया बदल गया है.

प्रसन्ना कुमार पांडा JNU में PhD स्कॉलर हैं, उन्हें भी लगभग वैसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा जैसे बाकी दिव्यांगों को हुईं. उन्होंने कहा कि वो किसी भी चीज को ठीक से छू कर नहीं देख पा रहे थे क्योंकि कुछ जगहों पर बैरिकेड लगे थे, वहीं कुछ जगहों पर भारी भीड़ परेशानी की सबब बनी.

इनका सवाल है कि बाकी ऐतिहासिक स्मारकों जैसी सुविधाएं ताजमहल में क्यों नहीं है?

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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