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लोकतंत्र में चुनावों को उत्सव कहा जाता है. भारत में 17वीं लोकसभा के लिए चुनावों का बिगुल बज चुका है. चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो चुका है. भारत ने लोकतंत्र और आजादी के लिए जो संघर्ष किया उसे तो हम सभी जानते हैं, लेकिन विश्व में इसकी शुरुआत कहा से हुई कम ही लोग जानते होंगे.
आज पूरा विश्व लोकतंत्र की तरफ बढ़ रहा है. अलोकतांत्रिक रहे 80 से ज्यादा देश 1980 के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ बढ़े हैं. ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्त्र, म्यांमार, इराक, बहरीन, और तुर्की जैसे देश धीरे-धीरे लोकतंत्र को अपना रहे हैं.
आज दुनिया में लोकतंत्र का जो स्वरुप देखने को मिलता है. वो सतत संघर्ष और क्रांति का परिणाम है. इसकी शुरुआत मुख्य रूप से अमेरिका से होती है, लेकिन इसपर इंग्लैंड की क्रांति का भी प्रभाव पड़ा. 1688 में इंग्लैंड की जनता वहां के राजा जैम्स द्वितीय के विरोध में हो गई और उन्हें राजसिंहासन छोड़ना पड़ा. इसके बाद इंग्लैंड धीरे-धीरे लोकतंत्र की तरफ बढ़ा.
1492 में क्रिस्टोफर कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की. इसके बाद कई अंग्रेज अमेरिका में जाकर बस गये. 1776 में अमेरिकी में इंग्लैंड के शोषण के खिलाफ क्रांति का आगाज हुआ. इसके बाद सितंबर 1783 में पेरिस संधि हुई और नये अमेरिकी राष्ट्र की सीमायें तय कर दी गईं.
अमेरिका से प्रेरणा लेते हुए फ्रांस में 1789 में वहां के राजा लुई सोलहवां की निरंकुश शासन व्यवस्था, नौकरशाही और विशेषाधिकारों के विरुध क्रांति की शुरुआत हुई. इस क्रांति से फ्रांस में टिकाऊ लोकतंत्र की स्थापना नहीं हुई, लेकिन इससे समानता और स्वतंत्रता की भावना का विकास हुआ, जिसने विश्व के अन्य देशों को भी प्रभावित किया और उनके राष्ट्रीय आंदोलनों को बल मिला. कई सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिवर्तनों हुए.
फ्रांस की क्रांति के बाद यूरोप के कई देशों में लोकतंत्र के लिए आवाज उठने लगी और राजशाही का अंत होता चला गया. रुस के राजा जार निकोलस द्वितीय के निरंकुश शासन से तंग आकर लोगों ने क्रांति का आगाज किया. जार ने राजपद छोड़ दिया और अंतरिम सरकार बनीं. यह सरकार समस्याओं का सही समाधान नहीं खोज पाई. इस कारण उसके विरोध में असंतोष बढ़ा. इसके बाद 1917 में ही व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में संघर्ष हुआ और सुदृड़ राजनीतिक सरकार की स्थापना हुई.
भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ. आजादी के बाद हमने लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली को चुना. भारत की आजादी ने विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र की नीव रखी. अमेरिका भले ही विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र हो, लेकिन 1965 तक वहां अश्वेतों को वोट देने का अधिकार नहीं था. भारत ने 1950 में ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार दे दिया था. उस वक्त भारत में 21 वर्ष की आयु के सभी लोगों को वोट देने का अधिकार था. 1989 में संविधान में संशोधन कर इसे 18 वर्ष कर दिया गया है.
आज विश्व के 140 से ज्यादा देश लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे हैं, जहां बहुदलीय प्रणाली के तहत चुनाव कराये जाते हैं. अक्टूबर 1990 में पोलैड में राष्ट्रपति के लिए पहली बार चुनाव हुये थे, जिसमें एक से ज्यादा दल हिस्सा ले सकते थे. जिस लोकतांत्रिक क्रांति की शुरुआत अमेरिका से हुई थी, उसे भारत ने बल दिया और मजबूत बनाया है.
(सभी माई रिपोर्ट सिटिजन जर्नलिस्टों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट है. द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है, लेकिन रिपोर्ट और इस लेख में व्यक्त किए गए विचार संबंधित सिटिजन जर्नलिस्ट के हैं, क्विंट न तो इसका समर्थन करता है, न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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Published: 13 Mar 2019,03:09 PM IST