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परीक्षाओं का दौर चल रहा है. बच्चों के साथ-साथ बड़े भी अपने बच्चों के भविष्य के लिए चिंतित होंगे. इस दौरान बच्चों पर अपने पेरेंट्स की आकांक्षाओं को पूरा करने का दबाव होता है. परिवार के लोग अपने सपने, जो वो पूरा नहीं कर पाते, उन्हें अपने बच्चों से पूरा कराना चाहते हैं. उन्हें तरह-तरह के ताने मारते हैं.
इनमें कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो खराब रिजल्ट और असफलता के डर के कारण गलत रास्ता चुनने की सोचते हैं या चुन लेते हैं. वो आत्महत्या जैसा कदम तक उठा लेते हैं. इस दौरान वो भूल जाते हैं कि उनके अपने उनके बिना कैसे रहेंगे. उनपर क्या बीतेगी. सपनों की दुनिया में जाकर सपनों को पूरा नहीं किया जा सकता. किसी के रहने न रहने से ज्यादा कुछ नहीं बदलता.
बच्चों को यह सोचना चाहिये कि आज देश और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान रखने वाले लोग किसी जमाने में बच्चे थे. उनमें से कई बचपन में कमजोर और असफल थे, लेकिन आज ताकतवर और सफल हैं. दुनिया उन लोगों से भरी पड़ी है, जो शुरुआत में कई बार असफल और निराश हुये, लेकिन हर न मानने के कारण आज अधिकतर युवा उन जैसा बनना चाहते हैं.
ऐसे ही कुछ लोग हैं –
हैरी पॉटर की लेखिका जेके रोलिंग की गिनती आज विश्व के सबसे सफल लोगों में होती है. उनकी किताब और उसपर बनीं फिल्मों ने इतिहास में अगल ही मुकाम हासिल किया है. इस महान सफलता के पहले वो कई बार असफल हुईं. वो ऑक्सफोर्ड में पढ़ना चाहती थीं, इसके लिए 1982 में उन्होंने प्रवेश परीक्षा भी दी, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं मिल सका. उनकी शादी भी ज्यादा दिन नहीं चली. वो और उनके जल्द ही एक-दूसरे से अलग हो गये. रोलिंग ने सिंगल मदर के तौर पर अपनी बेटी को पाला. कई प्रकाशकों ने हैरी पॉटर सीरीज के पहले उपन्यास को छापने से भी मना कर दिया था. उनके मन में कई बार आत्महत्या का ख्याल भी आया, लेकिन उन्होंने इसे मन पर हावी नहीं होने दिया. तमाम विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करते हुए वो आगें बढ़ीं और आज उस जगह हैं, जहां हर कोई पहुंचना चाहता है.
विश्व में हर एक के हाथों में कम्प्यूटर पहुंचाकर क्रांति लाने वाले बिल गेट्स माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के मालिक और दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में एक हैं. वो एक कॉलेज ड्रॉप ऑउट हैं और कई बार असफल भी हुये, लेकिन आज दुनिया के टॉपर उनकी कंपनी में काम करना चाहते हैं.
डेल टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष माइकल डेल ने 1983 में टेक्सास विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, लेकिन पहले ही साल कॉलेज छोड़ दिया. डेल के माता-पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर बनें, पर उनकी मंशा कुछ और थी. आज डेल कंपनी दुनिया की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों में गिनी जाती है.
ओरेकल के संस्थापक लैरी एलिसन को उनकी मां ने चाचा-चाची को गोद दे दिया था. उनके दत्तक माता-पिता चाहते चाहते थे कि वे डॉक्टर बने. इसके लिए उन्होंने इलिनोइस और शिकागो विश्वविद्यालय में प्रवेश भी लिया, लेकिन वो डॉक्टरी के कठिन कोर्स को पूरा नहीं कर सके और कॉलेज छोड़ दिया.
इसके अलावा फेसबुक के को-फाउंडर मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फोर्ड मोटर के संस्थापक हेनरी फोर्ड, डिज्नी कंपनी के संस्थापक वाल्ट डिज्नी, महान वैज्ञानिक आइजेक न्यूटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, थॉमस एडिसन, अमेरिका के राष्ट्रपति रहे अब्राहम लिंकन, अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे नेल्सन मंडेला सहित दुनिया में ऐसे कई सफल और महान लोग हैं, जिनकी उपेक्षा की गई, स्कूल से निकाल दिया गया, किसी कारण कॉलेज छोड़ना पड़ा, पढ़ाई में कमजोर रहे, लेकिन अंत में हार न मानते हुए सफल हुए हैं.
जीवन के कई क्षेत्रों में असफल हुए हैं. दुनिया ऐसे लोगों से भरी पड़ी है, जो एक क्षेत्र में असफल हो गये हैं, लेकिन दूसरे क्षेत्रों में उन्होंने बहुत नाम कमाया है. उन्होंने अपनी विफलताओं को अपनी कमजोरी मानकर गलत कदम उठाने की जगह विफलताओं से सीखकर आगे बढ़ने का रास्ता चुना और आज दुनिया उनके बताए रास्ते पर चल रही है.
परीक्षा में मिले नंबर सफलता-असफलता की निशानी नहीं होते. ऐसा कोई तय नियम भी नहीं है कि जो टॉप करेगा या अच्छे नंबर लाएगा, वही आगे चलकर नाम कमाएगा. दुनिया का हर इंसान अपने आप में अलग है. हर एक की अपनी अच्छाईयां और कमियां हैं.
हो सकता है एक किसी विषय को कम समय में समझ ले और दूसरे को अधिक समय लगे. इसी तरह दूसरा किसी बात को कम समय में समझ ले और पहले को अधिक समय लगे. यह सब तो अपनी-अपनी समझ पर निर्भर करता है. यह सच है कि हमें अपने सपनों को पाने के लिए मेहनत करनी होगी, आगे बढ़ना होगा, लेकिन हम अपने सपनों को तभी साकार कर सकते हैं, जब हम इस दुनिया में रहेंगे और छोटी-छोटी असफलताओं से निराश होने की जगह उनसे सीखकर आगे बढ़ते चलेंगे.
(सभी माई रिपोर्ट सिटिजन जर्नलिस्टों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट है. द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है, लेकिन रिपोर्ट और इस लेख में व्यक्त किए गए विचार संबंधित सिटिजन जर्नलिस्ट के हैं, क्विंट न तो इसका समर्थन करता है, न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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