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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की परीक्षा आयोजित करने की क्षमता पर एक के बाद एक सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ, NEET 2024 (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के नतीजों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है. दूसरी तरफ, एक अन्य परीक्षा, UGC-NET 2024 (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) रद्द कर दी गई है.
NET 2024 के एक आवेदक के रूप में, मुझे तब आश्चर्य हुआ जब परीक्षा आयोजित होने के एक दिन बाद यानी 19 जून को शिक्षा मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया कि परीक्षा रद्द कर दी गई है 'क्योंकि परीक्षा की शुचिता से समझौता होने की आशंका है.'
मैं लंबे समय से इसकी तैयारी कर रही थी, उम्मीद थी कि इसे पास कर PhD में एडमिशन पा लूंगी, लेकिन अब इसे रद्द कर दिया गया है.
महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है. उन्हें परिवार और समाज दोनों से दबाव का सामना करना पड़ता है.
मुझे अपने परिवार से दबाव का सामना करना पड़ रहा है. वे हमेशा मुझसे पूछते हैं कि बीए और एमए के बाद मुझे अपनी शिक्षा पूरी करने में और कितने साल लगेंगे.
अगर परीक्षा रद्द हो जाती है, तो मेरे लिए अपने परिवार को यह समझाना मुश्किल हो जाएगा कि मुझे एक या दो महीने में फिर से परीक्षा देनी होगी. मुझे नहीं पता कि मेरे परिवार वाले मुझे दोबारा परीक्षा देने का मौका देंगे या नहीं.
मार्च 2024 में एक अधिसूचना जारी कर छात्रों को बताया गया कि UGC ने PhD में दाखिले के लिए विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा को खत्म कर दिया है. अधिसूचना में कहा गया था कि छात्रों को NET पास करना होगा और उनके अंकों के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा.
ऐसे में हमारे पास PhD में एडमिशन पाने का एक ही रास्ता है कि हमें NET पास करना होगा. NET की परीक्षा रद्द होने से PhD का एकमात्र रास्ता बंद हो गया है. यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है. हम क्या करें?
NTA के पास देश भर में अलग-अलग परीक्षाएं आयोजित करने की जिम्मेदारी है, लेकिन पेपर लीक और धांधली के आरोपों के बीच एजेंसी के कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं. पहले NEET और अब NET. ये घटनाएं गंभीर चिंता का विषय है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
NTA देशभर में पारदर्शिता के साथ परीक्षाएं आयोजित कराने में असफल है और पेपर लीक हो रहे हैं. ऐसे में एजेंसी को खत्म कर देना चाहिए, और भविष्य में दोबारा पेपर लीक न हो इसके लिए सरकार को कोई दूसरी एजेंसी ढूंढ लेनी चाहिए.
('माई रिपोर्ट' एक ब्रांडेड स्टोरी है जो क्विंट को सिटीजन जर्नलिस्ट द्वारा भेजा जाता है. हालांकि प्रकाशन से पहले क्विंट द्वारा इसे जांचा जाता है, लेकिन ऊपर व्यक्त की गई रिपोर्ट और विचार सिटीजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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