advertisement
वीडियो प्रोड्यूसर: माज़ हसन
वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
कोविड-19 (COVID-19) महामारी की दूसरी लहर से देश का कोई भी भाग अछूता नहीं रहा. यहां तक कि हिमालय की तलहटी में उत्तराखंड के अंदरूनी और दूरदराज के गांवों के लोग भी इसकी चपेट में आ गए.
खराब सड़कें और खराब कनेक्टिविटी के कारण अधिकारी भी इन गांवों तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे इलाकों के लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए, शहरों में रहने वाले रंग कम्युनिटी के सदस्यों ने कोविड-राहत मिशन के साथ अपने गृहनगर जाने का फैसला किया.
धारचूला तहसील के अधिकांश गांव, जहां हम सहायता देने में कामयाब रहे, वहां अच्छी सड़कें और दूरसंचार सेवाएं भी नहीं हैं. जब मौसम खराब हुआ और बारिश हुई, तो सड़कें ब्लॉक हो गईं. तब इन क्षेत्रों तक पहुचने के लिए परिवहन का एकमात्र साधन - 4×4 वाहन - भी आगे जाने में नाकामयाब रहा.
ऐसी स्थिति में, वॉलेंटियर्स को अपने कंधों पर राहत सामग्री लेकर कई घंटों तक पहाड़ों और ग्लेशियरों के बीच से गुजरना पड़ता था.
स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से, इन गांवों में वायरस के प्रसार से बचने के लिए टेस्टिंग कैंप भी स्थापित किए गए थे क्योंकि सबसे नजदीकी अस्पताल धारचूला में है, जो कि आखिरी भारतीय रंग गांव, कुटी से 75 किमी दूर है.
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined