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दिल्ली में AAP का सूपड़ा साफ, अब विधानसभा की राह मुश्किल

2014 में आप के सभी सात उम्मीदवार दूसरा स्थान पाने में कामयाब रहे थे

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(फोटो: PTI)
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नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) लोकसभा चुनाव की बृहपतिवार को हुयी मतगणना के रुझान से दिल्ली की सभी सात सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) की हार लगभग तय है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी मतगणना के रुझानों के मुताबिक रात आठ बजे तक आप सिर्फ दो सीटों (उत्तर पश्चिम दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली) पर दूसरे स्थान पर थी, शेष चार सीट पर पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर चल रहे थे।

उत्तर पश्चिम सीट से आप उम्मीदवार गूगन सिंह भाजपा के हंसराज हंस से 5.53 लाख और दक्षिणी दिल्ली से आप के राघव चड्ढा भाजपा के रमेश बिधूड़़ी से 3.62 लाख वोट से पीछे थे। वहीं आप उम्मीदवार, पूर्वी दिल्ली से आतिशी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से दिलीप पांडे, नयी दिल्ली से ब्रजेश गोयल, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और पश्चिमी दिल्ली से बलबीर सिंह जाखड़ तीसरे स्थान पर चल रहे थे।

उल्लेखनीय है कि 2014 के चुनाव में आप के सभी सात उम्मीदवार कांग्रेस के उम्मीदवारों को तीसरे स्थान पर धकेलकर दूसरा स्थान पाने में कामयाब रहे थे।

मतगणना के रुझान से साफ है कि दिल्ली में सत्तारूढ़ आप को सिर्फ पंजाब में एक सीट से संतोष करना पड़ेगा। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब की संगरूर सीट से आप उम्मीदवार और मौजूदा सांसद भगवंत मान को निर्णायक बढ़त के आधार पर जीत की बधाई दी। हालांकि आयोग ने अभी इस सीट से चुनाव परिणाम की आधिकारिक घोषणा नहीं की है।

केजरीवाल ने मान को बधाई देते हुये कहा कि वह संगरूर और पंजाब की जनता की सेवा करते रहेंगे और राज्य के मुद्दे संसद में उठाते रहेंगे। केजरीवाल ने दिल्ली के चुनाव परिणाम के बारे में ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली में हमने बहुत अच्छे उम्मीदवार खड़े किए, बहुत अच्छा प्रचार किया और सभी कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की। जनता का जनादेश सर माथे पर। दिल्ली की जनता के लिए काम करते रहेंगे।’’

इससे पहले उन्होंने भाजपा की जीत के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी बधाई देते हुये दिल्ली की जनता के हित में मिलकर काम करने की आशा व्यक्त की।

इस बीच लोकसभा चुनाव की मतगणना के रुझान से स्पष्ट हुयी तस्वीर ने आप के लिये भविष्य की चुनौती को गंभीर बना दिया है। दिल्ली में इस साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। आप ने 2015 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।

आप ने दिल्ली के अलावा पंजाब और हरियाणा में भी उम्मीदवार खड़े किये थे। पार्टी ने दिल्ली में पूर्ण राज्य की मांग को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था। विधानसभा चुनाव से महज चंद महीनों पहले लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त ने पूर्ण राज्य के मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनाव का भी अहम मुद्दा बनाने की आप की मंशा पर पानी फेर दिया है।

पार्टी की रणनीति, पूर्ण राज्य के मुद्दे पर दिल्ली में लोकसभा चुनाव जीत कर विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल सरकार के शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय कामों और पूर्ण राज्य की मांग को मुद्दा बनाकर चुनावी नैया पार करने की थी।

केजरीवाल ने मोदी को अपने बधाई संदेश में दिल्ली वालों के हित में मिलकर काम करने की आशा व्यक्त कर इस बात का स्पष्ट संकेत दिया है कि आप अगले कुछ महीनों में केन्द्र सरकार से टकराव खत्म कर जनता के रुके हुये कामों को अंजाम तक पहुंचाना चाहेगी जिससे विधानसभा चुनाव में पार्टी इन्हें अपनी उपलब्धियों के रूप में जनता के बीच पेश कर सके।

भाषा

निर्मल नरेशनरेश2305 2118 दिल्लीनननन.

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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