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नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)| आईएएनएस-सीवोटर के स्टेट ऑफ द नेशन पोल-2020 में यह बात सामने आई है कि सर्वे में शामिल अधिकांश भारतीय नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) जैसे मुद्दों को लेकर चिंतित नहीं हैं।
हालांकि, जो बात उन्हें परेशान कर रही है, वह है मंहगाई और बढ़ती बेरोजगारी।
सी-वोटर के यशवंत देशमुख ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि यह पहली बार है कि लोग महंगाई और बेरोजगारी को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, "यह बात सरकार को ध्यान में रखने की आवश्यकता है, क्योंकि आखरी बार वर्ष 2013 में लोग मंहगाई और बढ़ती बेरोजगारी को लेकर चिंतित हुए थे।"
देशभर में 23 राज्यों के 1600 लोगों पर यह सर्वे किया गया। इसे वर्ष के अंतिम दिन में आयोजित किया गया, ताकि व्यक्तिगत खुशी और देश की समग्र स्थिति के बारे में नागरिक आशावाद को बढ़ावा दिया जा सके।
12-सूत्रीय प्रश्नावली का उपयोग कर उत्तरदाताओं से अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, सांप्रदायिक सौहार्द, सरकारी फैसलों का विरोध करने की आजादी, अल्पसंख्यकों का इलाज, महिलाओं की सुरक्षा, निजी जीवन, पाकिस्तान जैसे अन्य मामलों सहित सभी पहलुओं पर प्रश्न पूछे गए।
मंहगाई और पाकिस्तान के साथ संबंध ऐसे दो क्षेत्र रहे जहां आशावाद का स्तर नकारात्मक रहा। 46.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि मंहगाई सबसे खराब स्तर पर है, जबकि 34.2 प्रतिशत इस बात से सहमत नहीं हैं और उन्हें लगता है कि इसमें सुधार होगा। 78.4 प्रतिशत को लगता है कि आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से आने वाला साल बेहतर होगा। वहीं 62.9 प्रतिशत लोगों को ऐसा लगता है कि सरकार अल्पसंख्यक और अन्य के साथ समानता के साथ व्यवाहर करेगी।
पाकिस्तान के संदर्भ में 39.3 प्रतिशत को लगता है कि स्थिति और खराब होगी। वहीं, 33.3 प्रतिशत उत्तरदाता ऐसे हैं, जो शत्रुतापूर्ण पड़ोसी के साथ बेहतर संबंधों के प्रति आशावादी रहे।
महिला सुरक्षा को लेकर 68.3 प्रतिशत लोग सकारात्मक रुख रखते हैं। वहीं 16.6 प्रतिशत को लगता है कि हालात ऐसे ही रहेंगे। 15.2 ने कहा है कि स्थिति और बिगड़ेगी।
देशमुख ने कहा, "अधिकांश लोग साल के अंत में चीजों को लेकर सकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं।"
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