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उत्तराखंड के अल्मोड़ा में शिक्षा विभाग की एक कारगुजारी पर विवाद खड़ा हो गया है. जिसमें अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी सत्यनारायण ने सरकारी इंटर कॉलेजों के 9वी और 11वीं कक्षा के छात्रों को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यक्रम में शामिल होने का फरमान सुना दिया. हालांकि, सरकारी आदेश की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो हंगामा मच गया. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए और जिला शिक्षा अधिकारी को पद से हटाकर मुख्यालय से अटैच कर दिया.
दरअसल, 13 फरवरी को जिला शिक्षा अधिकारी सत्यनारायण ने 7 सरकारी इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को आदेश जारी कर कहा था कि वे 16 फरवरी को आयोजित होने वाले एबीवीपी के कार्यक्रम में कक्षा 9वीं और 11वीं के छात्र-छात्राओं को भेजें. इतना ही नहीं सभी स्कूलों से दो-दो शिक्षकों को भी कार्यक्रम में भेजे जाने के निर्देश दिए गए थे. 'छात्र गर्जना' नाम का एबीवीपी का यह कार्यक्रम नंदा देवी मैदान में 16 फरवरी को आयोजित हुआ था, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी के आदेशों के तहत इन सभी सरकारी स्कूलों के बच्चों ने भी हिस्सा लिया था.
सरकारी आदेश की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विपक्षी कांग्रेस इस पर सवाल खड़े करते हुए सरकार को घेर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि एबीवीपी के कार्यक्रम में तालियां पीटने के लिए सरकारी स्कूलों के छात्रों को भेजा जाना सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग है.
उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने बयान जारी कर कहा कि भारतीय जनता पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करने पर उतारू हो गई है. बीजेपी का स्तर दिन पर दिन गिरता जा रहा है, अपने कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने के लिए बीजेपी छात्र-छात्राओं का इस्तेमाल कर रही है.
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