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कतर और तुर्की काबुल हवाईअड्डे के परिचालन का नियंत्रण अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहे हैं तो इधर, अफगान व्यवसायी सरकार से इसके बजाय संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की एक कंपनी के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का आग्रह कर रहे हैं, क्योंकि कई अफगानों ने इसमें निवेश किया है. उन्हें डर है कि ऐसे में उनकी पहुंच प्रतिबंधित हो जाएगी.
टोलो न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापारियों के अनुसार, 200,000 से अधिक अफगान वहां बसे हुए हैं और उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में लाखों डॉलर का निवेश किया है.
पिछले गुरुवार को कतर और तुर्की के अधिकारियों ने इस्लामिक अमीरात के अधिकारियों के साथ काबुल में हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के प्रबंधन पर चर्चा करने के लिए काबुल का दौरा किया.
अफगानिस्तान के व्यापारियों के प्रमुख ओबैदुल्ला सदर खैल ने कहा, यह अनुबंध यहां रहने वाले अफगानों के लिए महत्वपूर्ण है. यह यूएई को दिया जाना चाहिए. अगर काबुल-यूएई के बीच उड़ानें रोक दी जाती हैं, तो व्यापारियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.
व्यापारियों ने कहा कि पूर्व सरकार के गिरने से पहले अफगानिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक दिन में लगभग 10 उड़ानें संचालित की जा रही थीं.
एक व्यापारी फरीद रूहानी ने कहा, हम इस्लामिक अमीरात से यूएई को हवाईअड्डों का प्रबंधन देने की अपील करते हैं, क्योंकि इससे देश के विकास में मदद मिलेगी.
लेकिन अफगानिस्तान एविएशन अथॉरिटी के कुछ पूर्व सदस्यों ने अलग राय दी.
परिवहन के पूर्व उपमंत्री इमाम मोहम्मद रिमाच ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और अन्य उपायों का पालन किया जाना चाहिए, ताकि अफगानिस्तान अच्छी हवाई उड्डयन सेवाएं और राजस्व की सुविधा दे सके.
इससे पहले परिवहन मंत्रालय ने कहा था कि उसने काबुल हवाईअड्डे को चलाने के लिए किसी कंपनी के साथ समझौता नहीं किया है.
परिवहन मंत्रालय के प्रवक्ता इमामुद्दीन अहमदी ने कहा, हमारी तकनीकी टीम ने उनके (कतर और तुर्की के प्रतिनिधियों) के साथ बैठक की। बैठकें तब तक जारी रहेंगी, जब तक हम एक अच्छे समझौते पर नहीं पहुंच जाते.
--आईएएनएस
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