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उत्तर प्रदेश में अग्निपथ (Agnipath) भर्ती प्रणाली को लेकर भड़की हिंसा में कोचिंग संचालक भी कार्यवाही की जद में आ गए हैं. जहां अलीगढ़ में 11 कोचिंग संचालक गिरफ्तार कर जेल भेजे गए हैं, वहीं कई अन्य जिलों में इनके संलिप्तता की जांच की जा रही है. पुलिस के आला अधिकारियों के अनुसार पूरे प्रदेश भर में कोचिंग संस्थानों के सत्यापन की कार्यवाही शिक्षा विभाग के माध्यम से कराई जाएगी.
मुकदमों के जांच में जहां आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी हो रही है वहीं साथ-साथ हिंसा को भड़काने वाले लोगों पर भी नकेल कसी जा रही है. उत्तर प्रदेश के अमूमन हर जिले में आर्मी की भर्ती के लिए शारीरिक और लिखित दक्षता की परीक्षा की ट्रेनिंग देने वाले कई कोचिंग संस्थान हैं. जून 17 को भड़की हिंसा के बाद प्रदेश के कई जिलों में इन कोचिंग सेंटर की भूमिका पुलिस को संदिग्ध मानकर जांच कर रही है.
अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) कलानिधि नैथानी के अनुसार जिले में 11 कोचिंग संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान SSP नैथानी ने बताया
वहीं आगरा में भी कई कोचिंग संस्थानों और उनके संचालकों पर जांच की तलवार लटक रही है हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर किसी भी कोचिंग संस्थान के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है. राज्य के आला पुलिस अधिकारियों की मानें तो कोचिंग संचालकों या उनके संस्थानों पर व्यापक पैमाने पर कोई कार्यवाही करने का आदेश नहीं है लेकिन उनके सत्यापन और वैधता की जांच की जाएगी.
उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने अपने बयान में कहा कि कोचिंग संचालकों को सूचीबद्ध किया जा रहा है. छात्रों को भड़काने में जिन कोचिंग संचालकों की संलिप्तता पाई जाएगी उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है और कठोर कार्रवाई भी की जाएगी
अग्निपथ योजना के आंदोलन के बाद शुरू हुई पुलिस की जांच के बारे में जानकारी देते हुए प्रशांत कुमार ने बताया कि आंदोलन में जब तक छात्र शामिल थे तब तक पुलिस संवेदनशील थी हालांकि बाद में कुछ असामाजिक तत्व और राजनीतिक तत्व शामिल हुए जिसके बाद हिंसा भड़की. इन सब मामलों में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है.
जून 20 को अग्निपथ योजना के विरुद्ध भारत बंद के आह्वान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत कुमार ने बताया कि बंद के अफवाहों के बीच भारी पुलिस और अर्धसैनिक बल की तैनाती की गई थी. पूरे प्रदेश में पुलिस के अलावा 141 कंपनी पीएसी और 10 कंपनी सीएपीएफ की तैनाती की गई थी.
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