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अखिलेश ने सोमवार देर शाम आजमगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैं योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जा रहा हूं क्योंकि मुझे अभी तक आमंत्रित नहीं किया गया है। अगर मुझे अभी आमंत्रित किया जाता है तो भी मैं कार्यक्रम में शामिल होने नहीं जाऊंगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी लोकसभा सीट या विधानसभा सीट बरकरार रखेंगे, सपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए फैसला किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मुझे सांसद या विधायक के रूप में बने रहने का फैसला पार्टी के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा। मैं आपसे जानना चाहता हूं कि मुझे क्या करना चाहिए? मैं इस मुद्दे पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की राय भी मांग रहा हूं।
अखिलेश ने ईवीएम विवाद पर भी अपना रुख नरम किया क्योंकि उन्होंने कहा कि अब इस मुद्दे पर चर्चा करने का समय नहीं है, लेकिन उन्होंने प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा कि ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने द कश्मीर फाइल्स फिल्म का प्रचार करना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश चुनाव का परिणाम लोगों की उम्मीदों से बिल्कुल अलग है। अब, भाजपा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि द कश्मीर फाइल्स से होने वाले लाभ को कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास पर खर्च किया जाए। कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए।
राज्य चुनावों में हार पर सपा प्रमुख ने कहा कि समीक्षा की प्रक्रिया चल रही है और चुनावी हार के कई कारण हैं।
जातिवादी राजनीति में शामिल होने के आरोप का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर भाजपा जाति की राजनीति करती है तो इसे सोशल इंजीनियरिंग कहा जाता है लेकिन बाकी सभी जातिवादी कहलाते हैं।
अखिलेश ने एसबीएसपी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की भाजपा में वापसी की अफवाहों को होली मजाक करार दिया।
उन्होंने बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बी.आर. अम्बेडकर के संविधान को बचाने के लिए कुछ नहीं किया।
उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि उन्होंने गुपचुप तरीके से बीजेपी से हाथ मिला लिया है। समय आ गया है कि समाजवादी सभी अंबेडकरवादियों को साथ लाएं।
--आईएएनएस
एमएसबी/आरएचए
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