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नई दिल्ली, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को रद्द करने के बाद से वहां पांच हजार से अधिक लोगों को प्रतिबंधात्मक हिरासत में लिया गया। यह जानकारी बुधवार को संसद में दी गई। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के संबंध में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस संबंध में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि शांति के उल्लंघन को रोकने, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए चार अगस्त 2019 से कश्मीर घाटी में राजनीतिक नेताओं/कार्यकर्ताओं, पत्थरबाजों, ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू), अलगाववादियों आदि सहित 5,161 व्यक्तियों को प्रतिबंधात्मक हिरासत में लिया गया था।
इनमें से वर्तमान में 609 व्यक्ति सुरक्षा कारणों से नजरबंद हैं, जिनमें 218 पथराव करने वाले लोग शामिल हैं।
रेड्डी ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति भंग के आरोप में पांच अगस्त से 194 मामले दर्ज किए गए हैं।
अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस और उसके कार्यकर्ताओं पर घाटी में पथराव की घटनाओं को अंजाम देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से संबंधित गतिविधियों, पत्थरबाजी और हमलों को वित्तपोषित करने के लिए सीमा पार से हवाला चैनलों के माध्यम से अवैध धन भेजा जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "जांच से पता चला है कि विभिन्न अलगाववादी संगठन और कार्यकर्ता, जो हुर्रियत का हिस्सा हैं, कश्मीर घाटी में पथराव की घटनाओं के पीछे रहे हैं। एनआईए ने अब तक के आतंकी फंडिंग मामलों में 18 लोगों को आरोप पत्र सौंपा है।"
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