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नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री रहे डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने 82 वर्ष की उम्र में सोमवार की सुबह दिल्ली में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके चले जाने से बिहार की राजनीति में जो रिक्तता आई है, वह शायद जल्द नहीं भर पाएगी। हाल के दो दशकों में वह भले ही नेपथ्य में रहे, फिर भी लोग उन्हें और उनके योगदान को जल्द भुला नहीं पाएंगे। सहरसा जिले के बलुआ बाजार में 24 जून, 1937 को जन्मे डॉ़ मिश्र को लोग शुरुआत में कांग्रेस के कद्दावर नेता और जनप्रिय रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र के छोटे भाई के रूप में जानते थे। सन् 1975 की 3 जनवरी को समस्तीपुर में बड़ी रेल लाइन परियोजना की बुनियाद रखने के बाद ललित नारायण मिश्र जनसमूह को संबोधित कर ही रहे थे कि मंच के नीचे जबर्दस्त बम विस्फोट हुआ था। उस विस्फोट में बड़े भाई के साथ छोटे भाई जगन्नाथ मिश्र भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। ललित बाबू को बचाया नहीं जा सका, लेकिन घायल जगन्नाथ मिश्र की जान बच गई।
समस्तीपुर बम विस्फोट में बड़े भाई की हत्या के बाद जन मानस में उपजी सहानुभूति जगन्नाथ मिश्र के साथ रही। उस बड़ी घटना के बाद बिहार की राजनीति के क्षितिज पर अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. जगन्नाथ मिश्र का उदय एक लोकप्रिय राजनेता के रूप में हुआ। हर चुनाव में कामयाबी मिलती चली गई और डॉ. मिश्र ने उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह तीन बार मुख्यमंत्री बने और सन् 1990 के दशक के मध्य में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर भी मिला।
डॉ़ मिश्र की पहचान बिहार के दिग्गज राजनेता के रूप में रही है। पुराने कांग्रेसी होने के बावजूद हाल के वर्षो में बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य को भांपते हुए वह कांग्रेस छोड़कर बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) में शामिल हो गए थे।
डॉ़ मिश्र वर्ष 1975 से 1977 तक, 1980 से 1983 तक और 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल के दौरान कई इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खुले। बिहार विकास के कई सोपान चढ़ा। साथ ही भ्रष्टाचार का दाग भी उनके दामन पर लगा। वह बहुचर्चित चारा घोटाले में भी दोषी करार दिए गए, मगर संयोगवश वह बरी हो गए। अपने जीते जी डॉ. मिश्र कलंक-मुक्त हो चुके थे।
इसी साल उनकी किताब 'बिहार बढ़कर रहेगा' प्रकाशित हुई थी। इसका विमोचन चारा घोटाले के याचिकाकर्ता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने किया था।
देश, बिहार और खासकर मिथिला क्षेत्र उन्हें एक कुशल प्रशासक, संवेदनशील राजनेता और अर्थशास्त्र के विद्वान प्राध्यापक के रूप में हमेशा याद करेगा व उनकी कमी महसूस करेगा।
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