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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को 6,000 करोड़ रुपये के बैंक ऑफ बड़ौदा विदेशी मुद्रा प्रेषण (रेमिटेंस) घोटाले के संबंध में आठ लोगों और एक निजी कंपनी के खिलाफ दो अलग-अलग पूरक आरोपपत्र दाखिल किए हैं.
जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि 2015 में सीबीआई को बैंक ऑफ बड़ौदा से 59 चालू खाताधारकों और कुछ सार्वजनिक और निजी व्यक्तियों सहित आरोपियों के खिलाफ शिकायत मिली थी.
शिकायत में कहा गया है कि आरोपी लगभग 6,000 करोड़ रुपये के अवैध विदेशी विदेशी प्रेषण (रेमिटेंस) में शामिल थे. बैंक ने आरोप लगाया था कि स्थापित मानदंडों और विनियमों के घोर उल्लंघन में विदेशी प्रेषण (रेमिटेंस) अवैध और अत्यधिक अनियमित तरीके से किए गए थे.
अधिकारी ने कहा, हमने तत्कालीन एजीएम और तत्कालीन विदेशी मुद्रा अधिकारी को बैंक ऑफ बड़ौदा, अशोक विहार शाखा में उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के बाद गिरफ्तार किया था.
मामले की जांच के बाद दिसंबर 2015 में उनके खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल की गई थी.
आगे की जांच के दौरान, यह पाया गया कि इन खातों को कथित तौर पर व्यक्तियों के एक समूह द्वारा संचालित किया गया था. उन्होंने इन खातों में आरटीजीएस के माध्यम से धनराशि जमा की और विभिन्न खातों के माध्यम से नकद राशि जमा की और अंत में इसे विदेशी खातों में भेज दिया.
अधिकारी ने कहा, यह माल/सेवाओं के आयात के खिलाफ अग्रिम भुगतान के रूप में किया गया था, जबकि कोई वास्तविक आयात नहीं किया गया था.
सीबीआई ने 2021 में 6 आरोपियों - तनुज गुलाटी, ईश भूटानी, उज्ज्वल सूरी, हनी गोयल, साहिल वाधवा और राकेश कुमार को गिरफ्तार किया है.
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