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भाजपा ने बुधवार को सहयोगी से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन चुकी शिवसेना पर ‘‘हिंदुत्व’’ को लेकर तंज कसा जो विपरीत विचारधारा वाले दलों कांग्रेस और राकांपा के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावनाएं तलाश रही है।
महाराष्ट्र में मंगलवार से राष्ट्रपति शासन लग चुका है।
वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा, ‘‘ये शिवसेना पर है कि वह कांग्रेस के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) में अपने हिंदुत्व के एजेंडे को कैसे फिट करती है।’’
उन्होंने समाचार चैनलों से कहा, ‘‘कांग्रेस, जो 150 साल पुरानी पार्टी है, जाहिर तौर पर (सरकार में) वह अपने एजेंडा को आगे बढ़ाएगी।’’
शिवसेना अक्सर खुद को हिंदुत्ववादी दल के रूप में पेश करती है, और यही वह वैचारिक धरातल है जो उद्धव ठाकरे की पार्टी तथा भाजपा को आपस में जोड़ता है।
ठाकरे ने मंगलवार रात को कहा कि अगर सरकार बनती है तो कांग्रेस और राकांपा की तरह शिवसेना को भी न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर स्पष्टता चाहिए।
दानवे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का बचाव करते हुए कहा, ‘‘राज्यपाल के खिलाफ आपत्ति करना सही नहीं है। उन्होंने केवल संवैधानिक अधिकारों का उपयोग किया।’’
उन्होंने कहा कि चूंकि अब राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है, इसलिए अब शिवसेना के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त समय है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर शिवसेना के पास आंकड़े हैं तो वह कभी भी दावा कर सकते हैं।’’
अपनी पार्टी की रणनीति के बारे में उन्होंने कहा कि जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो भाजपा विपक्ष में बैठेगी।
गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी लेकिन 145 के बहुमत के आंकड़े से 40 सीट दूर रह गयी ।
भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। वहीं राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की।
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