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नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)| केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोगों से अपनी जीवन शैली में बदलाव करने की अपील की है, ताकि कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने का प्रयास शुरू कर दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। जावड़ेकर ने कहा, "भारत कार्बन उत्सर्जन में कमी करने के लिए आक्रामक रूप से आगे बढ़ रहा है और मुझे यकीन है कि हम वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कमी कर देंगे।"
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान, सूखे और बेमौसम बारिश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे आने वाली बाढ़ से कई देशों में संपत्तियों और जीवन को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है।
यहां एक होटल में आयोजित 'समिट ऑन सस्टेनेबिलिटी' को संबोधित करते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने जलवायु परिवर्तन से उपजी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सभी देशों से पेरिस समझौते का पालन करने का अनुरोध किया।
हाल में मैड्रिड में यूएनएफसीसीसी, सीओपी 25 में हिस्सा लेकर लौटे प्रकाश जावड़ेकर ने वहां के अनुभवों का भी जिक्र किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'पांचजन्य' और 'ऑर्गनाइजर' की ओर से आयोजित इस समिट में जावड़ेकर ने कहा कि विकसित देश कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के प्रयासों को बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
मंत्री ने कहा कि खास बात यह है कि विकसित देशों ने दस साल पहले सौ अरब अमेरिकी डॉलर के योगदान का दावा किया था, लेकिन अब तक कई ने योगदान नहीं दिया है।
जावड़ेकर ने कहा कि जब तक विकसित देश कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए वास्तविक प्रयास नहीं करेंगे, तब तक जलवायु परिवर्तन से लड़ना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने की तकनीकों पर काफी लागत आती है और विकासशील देशों को इसके लिए क्षतिपूर्ति करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत इस मोर्चे पर नई तकनीकों का विकास कर रहा है। विमानों में ईंधन के रूप में इथेनॉल के इस्तेमाल सफलतापूर्वक किया गया है।
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