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नई दिल्ली, 25 फरवरी (आईएएनएस)| किसी की जेब से पैसा निकालना सबसे मुश्किल काम है लेकिन यदि नीयत साफ हो तो मदद के लिए लाखों हाथ आगे आने से नहीं हिचकते। यह कहना है कि देश में तेजी से उभर रही क्राउडफंडिंग कंपनी 'मिलाप' के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मयूख चौधरी का।
'मिलाप' जैसी क्राउडफंडिंग कंपनियां जरूरतमंदों के लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। ये निजी या सामाजिक कार्यों के लिए पूंजी जुटाने का काम करती हैं, जिससे किसी जरूरतमंद का समय पर इलाज हो उसका जीवन बच सकता है तो पैसे की कमी से जूझ रहा शख्स स्टार्टअप शुरू कर करियर संवार सकता है।
मयूख ने नई दिल्ली में आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, मिलाप की शुरुआत 2010 में हुई थी और इन वर्षो में हम ग्रामीणों, कर्ज की मार झेल रहे किसानों, शिक्षा, स्वास्थ्य और कारोबार के लिए कर्ज ले चुके गरीबों की मदद के लिए पूंजी जुटा चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। समय के साथ मिलाप क्राउडफंडिंग का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है।
मयूख कहते हैं, तकनीक इस काम में अहम भूमिका निभा रही है। हम निजी या सामाजिक परियोजनाओं के लिए फंड इकट्ठा करते हैं। फिर चाहे वह मेडिकल इमरजेंसी हो, पढ़ाई हो या कोई सामाजिक कार्य हो। इसके लिए हम फंडिंग की चाह रखने वाले लोगों या संस्थाओं का कैंपेन तैयार करते हैं, जिसके लिए आमजन अपनी सुविधानुसार डोनेट कर सकता है। यह ऑनलाइन शॉपिंग करने जितना ही आसान है।
वह कहते हैं, इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है कि डोनर्स किस प्रोजेक्ट या किस शख्स को पैसा डोनेट करना चाहता है, बकायदा उसका पूरा ब्योरा हमारी वेबसाइट पर देखा जा सकता है। इस राशि को कब और किस तरह इस्तेमाल किया जाएगा, इसका पूरा विवरण हम डोनर से साझा करते हैं। इतना ही नहीं डोनर्स और रिसीवर के बीच संपर्क भी स्थापित कराया जाता है।
युवा उद्यमी कहते हैं कि 'मिलाप' भारत सहित दुनिया के 120 से अधिक देशों से क्राउडफंडिंग कर रहा है और अभी तक एक लाख परियोजनाओं के लिए 280 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी जुटा चुका है।
उनका कहना है, सर्वाधिक फंडिंग मेडिकल क्षेत्र में होती है। 80 फीसदी क्राउडफंडिंग मेडिकल मामलों में होती है जबकि बाकी शिक्षा, खेल, ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित मामलों में।
मयूख कहते हैं, हम पर डोनर्स का विश्वास बहुत जरूरी है, उसे यह न लगे कि उसके पैसे का दुरुपयोग होगा इसलिए हम पारदर्शिता को महत्व देते हैं। डोनर्स की सीधे कैंपेन मैनेजर से बात कराई जाती है।
कंपनी के भावी कारोबार के बारे में पूछने पर मयूख कहते हैं, अगले चार से पांच वर्षों में कंपनी का कारोबार प्रतिवर्ष एक करोड़ डॉलर हो सकता है। हमने 2017 में 98 करोड़ रुपये की क्राउडफंडिंग की जबकि 2018 में 7,218 करोड़ जटाए गए, जो बीते साल की तुलना में लगभग तीन गुना है।
प्रधानमंत्री मोदी के 'डिजिटल इंडिया' मुहिम से इस क्षेत्र को कितना लभ पहुंचा है? इसके बारे में पूछने पर मयूख कहते हैं, 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद कंपनी को डिजिटल इंडिया जैसी पहल से फायदा तो हुआ लेकिन यह अधिक नहीं है। मिलाप के जरिए जिस वर्ग के लोग फंडिंग कर रहे हैं, उनमें पहला वर्ग 26 से 35 साल के लोगों का है, जो लोग सोशल मीडिया पर सर्वाधिक सक्रिय है। दूसरा वर्ग 35 से 45 उम्र के लोगों का है, जिनके पास अधिक पैसा है जबकि तीसरा वर्ग 45 साल से अधिक उम्र वाले उच्चवर्ग का है, जो 50,000 रुपये तक की फंडिंग करता है।
मयूख देश में क्राउडफंडिंग का भविष्य उज्जवल मानते हैं तभी तो उन्होंने बड़े विश्वास के साथ कहा, इस क्षेत्र में भारत जल्द ही कई देशों को पीछे छोड़ देगा।
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
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