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भारत में 32 फीसदी लोग थायरॉइड विकारों से ग्रस्त

भारत में 32 फीसदी लोग थायरॉइड विकारों से ग्रस्त

IANS
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भारत में 32 फीसदी लोग थायरॉइड विकारों से ग्रस्त
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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)| भारत में लगभग 32 प्रतिशत लोग विभिन्न प्रकार के थायरॉईड विकारों से ग्रस्त हैं, जिनमें थायरॉइड नोड्यूल, हाइपरथायरॉयडिज्म, गोइटर, थायरॉइडिटिस और थायरॉइड कैंसर शामिल हैं।

एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में थायरॉइड रोगियों की संख्या 80,000 है और यह अमेरिकी थायरॉइड पीड़ितों के दसवें हिस्से जितनी है। अमेरिका में 2020 तक थायरॉइड के सबसे ज्यादा मामले होने की उम्मीद है, और कुछ ऐसा ही भारत के मामले में भी है।

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, थायरॉइड कैंसर तब होता है जब थायरॉइड कोशिकाओं में कुछ उत्परिवर्तन या म्यूटेशन होते हैं। यह कोशिकाओं को बढ़ने और तेजी से विभाजित होने देता है और वह सामान्य कोशिकाओं की तरह इन्हें नष्ट भी नहीं होने देता है। ये असामान्य थायरॉइड कोशिकाएं ट्यूमर बनाने के लिए जमा होती हैं।

उन्होंने कहा, वह आगे के ऊतकों पर आक्रमण कर सकते हैं और पूरे शरीर में फैल सकते हैं। थाइरॉइड कैंसर पांच अलग-अलग प्रकार के होते हैं- पैपिलरी (यह 30 से 50 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है) और फॉलिक्युलर कोशिकाओं से उत्पन्न होता है, जो थायरॉइड हार्मोन को स्टोर करते हैं और उनका उत्पादन भी करते हैं, फॉलिक्यूलर, मैडुलरी (थायरॉइड कोशिकाओं में शुरू होता है), एनाप्लास्टिक (दुर्लभ और इलाज करने में मुश्किल) तथा थायरॉइड लिम्फोमा (दुर्लभ, थायरॉइड में प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं में शुरू होता है और तेजी से फैलता है)।

हालांकि पहले इसके कोई दृश्य लक्षण नहीं होते हैं, बाद के चरणों में ये लक्षण दिख सकते हैं - जैसे गर्दन पर त्वचा के माध्यम से गांठ महसूस की जा सकती है, आवाज में परिवर्तन, गले में घरघराहट, निगलने में कठिनाई, गर्दन और गले में दर्द और लिम्फ नोड्स में सूजन।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, सभी या अधिकांश थायरॉइड को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। थायरॉइड सर्जरी में रक्तस्राव और संक्रमण का खतरा होता है। सर्जरी से पैराथाइरॉयड ग्रंथियों को कुछ नुकसान हो सकता है, जिससे शरीर में कैल्शियम का स्तर घट सकता है। इससे आपकी वोकल कॉर्डस से जुड़ी नसों को आकस्मिक नुकसान भी पहुंच सकता है, जो वोकल कॉर्ड्स पैरालिसिस, खराश और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है। इस तरह से रोकथाम इलाज से बेहतर है।

डॉ. अग्रवाल ने सुझाव देते हुए कहा, किसी भी प्रकार के कैंसर को रोकने के लिए लगातार या दीर्घकालिक एक्सपोजर से बचना बेहतर होता है। देखें कि क्या एमआरआई की तरह किसी और इमेजिंग विधि का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि सीटी स्कैन में एक्स-किरणों के विकिरण से भी 500 गुना विकिरण होता है।

उन्होंने कहा, यह समझें कि थायरॉइड कैंसर के सामान्य लक्षण क्या हैं और परीक्षण करवाएं अगर आपके शरीर में कैंसर वाले जोखिम कारक हैं, तो हर कुछ वर्षो में नोड्यूल चेक करने के लिए अपनी जीपी जांच करवाएं और टीएसएच लेवल का भी परीक्षण करवा लें।

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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