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बीएचयू में छात्रा से हुई छेड़छाड़ के बाद मचे बवाल के चलते चीफ प्रॉक्टर ओंकार नाथ सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. चीफ प्रॉक्टर पर छात्रा की शिकायत को गंभीरता से नहीं लेने के आरोप लग रहे थे. आरोप है कि पीड़ित छात्रा ने जब चीफ प्रॉक्टर से शिकायत की, तब उन्होंने मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की थी.
21 सितंबर को एक छात्रा से सरेआम छेड़छाड़ के बाद छात्राओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था. अगले दिन रात को प्रदर्शन के बीच पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. इससे कई छात्राएं घायल हो गईं. लाठीचार्ज में कई पत्रकारों को भी मारा गया. देशभर में इस लाठीचार्ज की निंदा हुई थी.
लखनऊ में पत्रकारों ने लाठीचार्ज के विरोध में सीएम हाउस के सामने धरना दिया. बढ़ते दवाब के बीच छात्राओं पर लाठीचार्ज के मामले में योगी सरकार की तरफ से कार्रवाई की गई.
वाराणसी में लंका इलाके के स्टेशन ऑफिसर, भेलूपुर के सीओ और एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट को हटा दिया गया. इन सभी को मामले को ठीक से हैंडल न करने का दोषी पाया गया था.
लाठीचार्ज के न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं. इस बीच, वाराणसी पुलिस ने बीएचयू कैंपस में हिंसा और शांति भंग के आरोपों के तहत 1000 अज्ञात छात्र-छात्राओं के खिलाफ केस दर्ज भी किए हैं. फिलहाल 2 अक्टूबर तक यूनिवर्सिटी बंद कर दी गई है.
वाराणसी के कमिश्नर ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. चीफ सेकेट्ररी को सौंपी गई इस रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी प्रशासन को बवाल बढ़ने के लिए जिम्मेदार बताया गया है.
कमिश्नर नितिन गोकर्ण की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संवेदनशील मुद्दे पर बीएचयू प्रशासन ने न तो पीड़ित की शिकायत पर सही कार्रवाई की और न ही हालात को सही से संभाला.
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