बिहार में ‘आधी आबादी’ असुरक्षित!

बिहार का गया इन दिनों एक घिनौनी वारदात को लेकर चर्चा में है.

IANS
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भारत के एक-एक राज्य की जनसंख्या कई बड़े देशों के बराबर है 
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भारत के एक-एक राज्य की जनसंख्या कई बड़े देशों के बराबर है 
(फोटो: iStock)

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दुनिया भर में 'ज्ञानभूमि' और 'मोक्ष की धरती' के रूप में मशहूर बिहार का गया इन दिनों एक घिनौनी वारदात को लेकर चर्चा में है. यहां एक शख्स के सामने ही उसकी 55 साल की पत्नी और 15 साल की पुत्री के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने बिहार में कथित सुशासन की पोल खोलकर रख दी है.

इस बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक के छेड़खानी की घटना के बाद पहले राजभवन को सूचना देने के बयान ने यह साबित कर दिया है कि बिहार में आधी आबादी के साथ सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पुलिस विभाग के आंकड़े भी इस बात की तसदीक कर रहे हैं कि हाल के सालों में दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि हुई है.

विपक्ष के आधी आबादी के असुरक्षित रहने के दावे के बाद सत्ता पक्ष भले ही आरोपियों की गिरफ्तारी कर लेने के बयानों के बाद यह साबित करने की कोशिश में जुटी हों कि बिहार में कानून का राज है परंतु गया की घटनाओं ने बिहार शर्मसार कर दिया है, इससे किसी को इंकार नहीं है.

बिहार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल भी मानते हैं कि हाल के दिनों में अपराध की घटनाएं बड़ी है. उन्होंने कहा, छेड़खानी और बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने के लिए सरकार को छेड़खानी और सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों का एनकाउंटर शुरू करना होगा

‘बिहार में जंगलराज लगभग खत्म’

रामनारायण मंडल ने कहा कि वैसे तो बिहार में लगभग जंगलराज खत्म हो चुका है लेकिन अब भी कुछ अपराधी घटनाओं को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं.

पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों पर गौर करें तो साल दर साल दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि हुई है. राज्य में इस साल मार्च महीने तक 289 दुष्कर्म की घटनाएं घट चुकी हैं जबकि पिछले साल राज्य के कई थानों में 1,198 दुष्कर्म की घटनाएं प्रतिवेदित हुई थी.

इससे पहले 2016 में राज्यभर में जहां 1,008 दुष्कर्म की घटनाएं हुई थी वहीं 2015 में 1,041 व 2014 में 1,127 दुष्कर्म की घटनाएं घटी थी. इसी तरह 2013 में 1,128 जबकि 2012 में 927 दुष्कर्म की घटनाएं ही राज्य के कई थानों में दर्ज की गई थी. साल 2010 में पूरे राज्य में 795 दुष्कर्म की घटनाएं घटी थी.

छेड़खानी का वीडियो वायरल होना नया ट्रेंड

पिछले दिनों राज्य के कई जिलों में छेड़खानी का वीडियो वायरल होने की घटनाओं का नया ट्रेंड शुरू हुआ है. पिछले दिनों राज्य के नालंदा, जहानाबाद, कैमूर में लड़की के साथ छेड़खानी का वीडियो वायरल करन की घटना प्रकाश में आई है. पुलिस इन मामलों में संज्ञान लेकर भले ही आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी हो, लेकिन समाज में फैल रहे ऐसी घटनाओं को मानसिक विकृति ही माना जा रहा है.

मनोवैज्ञानिक बिंदा सिंह दुष्कर्म और छेड़खानी की बढ़ती घटनाओं का मुख्य कारण अकेलापन को मानती हैं. वे कहती हैं, कुछ ज्यादा उम्र के लोग पीडियोफिलिया (बाल यौन अपराध) बीमारी से ग्रस्त रहते हैं. ऐसे में ये कम उम्र की बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं. उन्हें लगता है कि ये बच्चियां किसी से कुछ कहेंगी नहीं. इसके पीछे भी अकेलापन एक हद तक जिम्मेवार होता है.

मनोवैज्ञानिक ने इसके लिए इंटरनेट को भी हद तक जिम्मेवार माना है. उनका कहना है कि आज बच्चे या युवा अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए इंटरनेट कस सहारा ले रहे हैं, जिसमें कई अश्लील सामग्री भी हैं.

घटनाओं की संख्या में हुई कमी: पुलिस

पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि राज्य में घटनाएं घटी हुई हैं. गया वाले मामले में भी अब तक 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और दूसरे आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.

बता दें, दो दिन पहले राज्यपाल ने एक समारोह में लड़कियों और महिलाओं से अपील करते हुए कहा था, अगर आपके साथ कोई छेड़खानी करता है तो थाने बाद में जाइए, पहले फोन कॉल राजभवन में कर दीजिए. वहां के अधिकारी आपके साथ जाकर आपकी रिपोर्ट थाने में लिखवाएगा, इससे बुरी कोई बात नहीं हो सकती है कि हम अपनी बच्चियों की सम्मान की रक्षा न कर सकें.

बहरहाल, गया की घटना के बाद विपक्ष सत्तापक्ष पर लगातार निशाना साध रही है, ऐसे में अब देखना होगा कि सरकार अपराधियों पर लगाम लगाने में कब तक सफल होती है.

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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Published: 19 Jun 2018,08:30 AM IST

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