Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिहार में 10 साल पहले हुआ जवान का 'पकड़ौआ विवाह' रद्द, पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

बिहार में 10 साल पहले हुआ जवान का 'पकड़ौआ विवाह' रद्द, पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Bihar kidnapped for wedding: कोर्ट ने अपने फैसले में 10 साल पहले हुई आर्मी जवान की जबरन शादी को अमान्य करार दिया.

क्विंट हिंदी
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>बिहार: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 10 साल पहले हुआ जवान का 'पकड़ौआ विवाह' रद्द</p></div>
i

बिहार: पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 10 साल पहले हुआ जवान का 'पकड़ौआ विवाह' रद्द

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

बिहार (Bihar) में पकड़ौआ विवाह (Catch Marriage) के एक मामले में पटना हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. 10 नवंबर को कोर्ट ने अपने फैसले में 10 साल पहले हुई आर्मी जवान की जबरन शादी को अमान्य करार दिया.

साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की कि हिंदू विवाह तब तक मान्य नहीं है जब तक दूल्हा-दुल्हन अपनी मर्जी से पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे न ले लें. कोर्ट ने इस शादी को रद्द कर दिया है. आइए देखते हैं क्या है पूरा मामला?

क्या है पूरा मामला?

करीब 10 साल पहले बिहार के नवादा जिले में काशीचक में रहने वाले आर्मी जवान रविकांत की कथित शादी हुई थी. ये मामला 30 जून 2013 का है, जब रविकांत सेना में एक सिग्नलमैन थे. वे लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में प्रार्थना करने गए थे. उसी दिन उनका अपहरण कर लिया गया और बंदूक की नोक पर लड़की को सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया.

इस जबरन शादी को रद्द करने के लिए रविकांत ने फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल की. 27 जनवरी, 2020 को उसकी याचिका फैमिली कोर्ट से खारिज हो गई.

इसके बाद उन्होंने पटना हाईकोर्ट का रुख किया. अब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस शादी को रद्द कर दिया साथ ही फैमिली कोर्ट के फैसले को भी 'त्रुटिपूर्ण' बताया.

पटना हाईकोर्ट ने क्या कहा?

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दुल्हन पक्ष ये साबित नहीं कर पाया कि कथित विवाह के दौरान 'सप्तपदि' (सात फेरों) का मौलिक अनुष्ठान पूरा हुआ था. कोर्ट ने पाया कि दुल्हन की ओर से मौखिक गवाही देने वाले पुजारी को 'सप्तपदी' के बारे में कोई जानकारी थी. साथ ही वो ये भी नहीं बता पाए कि शादी किस जगह हुई है. कोर्ट ने इस कथित विवाह को ये कहते हुए रद्द कर दिया कि ये कानून की नजर में अमान्य है.

कोर्ट ने कहा कि किसी महिला की मांग में जबरदस्ती सिन्दूर लगाना हिंदू कानून के तहत वैध विवाह नहीं है. एक हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है, जब तक दूल्हा-दुल्हन अपनी मर्जी से पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे न लें.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पटना हाईकोर्ट में जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया.

बता दें कि बिहार में कुछ साल पहले तक 'पकड़ौआ विवाह' का काफी चलन था. ग्रामीण इलाकों में लड़की के घर वाले अच्छे लड़के को पकड़कर उसकी शादी जबरन अपनी बेटी से करा देते हैं. इस मुद्दे पर कई फिल्में भी बन चुकीं हैं. हालांकि, हाल के सालों में ऐसे विवाहों में कमी आई है. अब पटना हाईकोर्ट का ये फैसला ऐसी शादियों की रोक के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT