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बंबई उच्च न्यायालय ने गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुये बहुचर्चित बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 12 लोगों की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा आज बरकरार रखी और पुलिसकर्मियों एवं डॉक्टरों समेत सात लोगों को बरी करने का आदेश निरस्त कर दिया.
अदालत ने सीबीआई की उस अपील को भी खारिज कर दिया, जिसमें तीन दोषियों के लिये मौत की सजा की मांग की गई थी.
न्यायमूर्ति वी के ताहिलरमानी अैर न्यायमूर्ति मृदुला भाटकर की खंडपीठ ने कहा, ‘‘11 दोषियों (एक दोषी मर चुका है) की ओर से दोषी करार दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया जाता है. दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा जाता है.”
अदालत ने कहा मामले में सात लोगों को बरी करने के खिलाफ अभियोजन पक्ष की ओर से दायर अपील को स्वीकार किया जाता है. इन्हें बरी करने का आदेश निरस्त किया जाता है. पीठ ने कहा कि पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों समेत सात लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 218 (अपने कर्तव्य का निवर्हन न करना) और धारा 201 (साक्ष्यों से छेड़छाड़) के तहत दोषी ठहराया जाता है.
अदालत ने आज कहा, ‘‘इन सात लोगों द्वारा जेल में बिताई जा चुकी अवधि को हम उनकी सजा के तौर पर मान लेंगे लेकिन उनपर जुर्माना जरुर लगाया जाएगा.''
दोषी पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों के नाम हैं- नरपत सिंह, इदरिस अब्दुल सैयद, बीकाभाई पटेल, रामसिंह भाभोर, सोमभाई गोरी, अरुण कुमार प्रसाद (डॉक्टर) और संगीता कुमार प्रसाद (डॉक्टर).इस मामले में अब 18 लोग दोषी करार दिए जा चुके हैं. पिछले साल अदालत ने मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों की ओर से दायर अपीलों और तीन दोषियों के लिए मौत की सजा की सीबीआई की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
एक विशेष अदालत ने बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के मामले में 11 लोगों को 21 जनवरी 2008 को दोषी ठहराया था।.
सामूहिक बलात्कार और हत्या का यह प्रकरण गोधरा दंगों के बाद हुआ था. बाद में दोषी अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय पहुंचे और निचली अदालत का आदेश निरस्त करने और उसे दरकिनार करने की मांग की.
सीबीआई ने दोषी करार दिए गए लोगों में से तीन के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक अपील भी दायर की. यह मांग इस आधार पर की गई कि यही तीनों लोग अपराध के मुख्य साजिशकर्ता थे.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, गोधरा के बाद के दंगों के दौरान अहमदाबाद के पास रंधीकपुर गांव में तीन मार्च, 2002 को बिलकिस बानो के परिवार पर भीड ने हमला बोल दिया था. इसमें बिलकिस के परिवार के सात सदस्य मारे गए थे. उस समय बिलकिस पांच माह की गर्भवती थी. वहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। बिलकिस के परिवार के छह अन्य सदस्य भीड़ से बच निकलने में कामयाब रहे.
मामले की सुनवाई अहमदाबाद में शुरु हुई थी. हालांकि बिलकिस ने यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है. उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2004 में मामले को मुंबई स्थानांतरित कर दिया था.
दोषी करार दिए गए 11 लोगों के नाम जसवंतभाई नाईं, गोविंदभाई नाईं, शैलेश भट्ट, राधेशाम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मूर्धिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना है.
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