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मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 23 से 27 सीटों पर कब्जा कर सकती है, जबकि कांग्रेस 12 से 16 सीटें जीत सकती है। एबीपी-सी-वोटर एग्जिट पोल में यह संभावना जताई गई है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो पुराने सहयोगी-नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), जो अलग-अलग चुनाव लड़े थे, को क्रमश: 10 से 14 और 3 से 7 सीटें मिलने की संभावना है।
वर्तमान सर्वेक्षण निष्कर्ष और अनुमान राज्य भर में 18 वर्ष से अधिक के वयस्कों के बीच मतदान के दिन और मतदान के दिन के बाद आयोजित सीवोटर एग्जिट पोल/पोस्ट पोल व्यक्तिगत साक्षात्कार पर आधारित हैं।
सर्वे के दौरान मणिपुर में 5,269 लोगों से बातचीत की गई। इस दौरान 95 प्रतिशत कॉन्फिडेंस इंटरवल यानी विश्वास अंतराल के साथ प्रोजेक्शन दर्ज किया गया।
पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस 14 सीटों का नुकसान झेल सकती है, जबकि भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन में 4 सीटों के साथ मामूली सुधार देखने को मिल सकता है।
एनपीपी की ओर से अपने स्ट्राइक रेट को 11.2 फीसदी तक बढ़ाने की संभावना है, जो कि 2017 में इसके 5 फीसदी से कहीं अधिक है। उसके प्रदर्शन में 6.1 फीसदी का सुधार, सभी पार्टियों में सबसे ज्यादा है, जो पूर्वोत्तर राज्य में गेम-चेंजर भी साबित हो सकता है।
संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन (यूडीए) के एक प्रमुख सहयोगी एनपीएफ, जिसने पड़ोसी नागालैंड में भारत की पहली सर्वदलीय और विपक्ष रहित सरकार का नेतृत्व किया, मणिपुर में 3 से 7 सीटें जीतने की संभावना है।
सर्वेक्षण के अनुसार अन्य नेता 2 से 6 सीटें जीत सकते हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, एक ओर जहां कांग्रेस को 6.4 प्रतिशत सीटों की गिरावट का सामना करना पड़ सकता है, वहीं एनपीपी को 6.2 प्रतिशत सीटों का फायदा मिल सकता है।
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