Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ग्रेटर नोए़डा: डेंगू ठीक होने के बाद शख्स में पाया गया ब्लैक फंगस

ग्रेटर नोए़डा: डेंगू ठीक होने के बाद शख्स में पाया गया ब्लैक फंगस

डेंगू से ठीक होने के 15 दिनों के भीतर मरीज को म्यूकोर्मिकोसिस की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है

क्विंट हिंदी
न्यूज
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कोरोना के बाद राजधानी दिल्ली में कहर बरपा रहे डेंगू (Dengue) ने एक बार फिर डराया है. डर का कारण ये है कि डेंगू से ठीक होने के बाद ग्रेटर नोएडा के एक शख्स में जानलेवा ब्लैक फंगस (Black Fungus Mucormycosis ) का मामला सामने आया है.

डेंगू से ठीक होने के 15 दिनों के भीतर 49 साल के मरीज को म्यूकोर्मिकोसिस की शिकायत के साथ दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

13 नवंबर को अस्पताल की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि डेंगू के बाद मुकॉर्माइकोसिस का दुर्लभ मामला ग्रेटर नोएडा के मरीज तालिब मोहम्मद में पाया गया, जिसे इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

अस्पताल ने क्या कहा ?

शख्स में डेंगू के बाद ब्लैक फंगस पाए जाने के मामले में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने अधिक जानकारी देते हुए कहा,

"ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) का एक दुर्लभ मामला हमारे सामने तब आया जब तालिब मोहम्मद डेंगू बुखार के बाद एक आंख से दिक्कत की शिकायत लेकर अस्पताल आए. डेंगू ठीक होने के बाद म्यूकोर्मिकोसिस होना दुर्लभ है. यह स्थिति आम तौर पर उन लोगों में देखी जाती है जिनको मधुमेह होता है.

एक घातक संक्रमण म्यूकोर नाम के फंगस के एक ग्रुप के कारण होता है. यह फंगस नाक के स्वस्थ ऊतकों पर हमला करता है.

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कई बार निकालनी पड़ती है मरीज की आंख - अस्पताल

अस्पताल ने आगे कहा कि,

"एक मरीज में राइनो-ऑर्बिटल (नाक और आंख को शामिल करते हुए) म्यूकोर्मिकोसिस से निपटना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि बेहतर इलाज के बाद भी, म्यूकोर्मिकोसिस के रोगी अपनी आंखों की रोशनी स्थायी रूप से खो सकते हैं. इसके बाद संक्रमण को और फैलने से रोकने के लिए आंख को हटाना आवश्यक हो जाता है."

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार ईएनटी और हेड एंड नेक सर्जरी, डॉ अतुल आहूजा, ने कहा कि COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान, देश भर में ब्लैक फंगस के बड़ी संख्या में मामले सामने आए, विशेष रूप से COVID-19 रोगियों में, जिन्हें पुरानी मधुमेह जैसी बिमारी पहले से थी.

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