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सीबीआई ने 3,695 करोड़ रुपये के फंसे कर्ज मामले में गुरुवार को रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल को गिरफ्तार किया है. इससे पहले दोनों से लंबे समय तक पूछताछ की गई. बता दें कि लगातार चार दिनों से आरोपियों से पूछताछ की जा रही थी. पहले दो दिन जांच एजेंसी ने उनसे पूछताछ की और उनके आवासों और उत्तर प्रदेश के कानपुर में उनके कार्यालय परिसर की तलाशी ली.
शुक्रवार को विक्रम कोठारी की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी हुई.
बुधवार को 9 घंटे से ज्यादा समय तक इन दोनों से पूछताछ हुई. आयकर विभाग ने कोठारी की कानपुर में तीन और गुजरात में एक अचल संपत्ति को जब्त किया है. कर्ज नहीं चुकाने के मामले में रविवार रात को बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा कोठारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद दोनों के अलावा पेन कंपनी के मालिक की पत्नी साधना, स्टॉफ और हाउस कीपर से भी पूछताछ की गई. उनके लैपटॉप और मोबाइल फोन सहित कई चीजों को जांच एजेंसी ने जब्त कर लिया है.
बैंक ऑफ बड़ौदा ने विक्रम कोठारी को दिए लोन को अक्टूबर 2015 में ही 'नॉन परफॉर्मिंग असेट' घोषित कर दिया गया था. दिसंबर 2017 में तो इस लोन को 'फ्रॉड' की कैटेगरी में भी डाल दिया गया. फिर भी बैंक ने किसी भी जांच एजेंसी सीबीआई या ईडी को इसकी जनकारी नहीं दी. इसकी रिपोर्ट रविवार को मजबूरी में की गई क्योंकि नीरव मोदी का घोटाला सबके सामने आ चुका था. बैंक को डर लगने लगा कि कहीं नीरव मोदी की तरह विक्रम कोठारी भी देश से ना भाग जाए.
हैरानी की बात है कि रोटोमैक के मालिक ने पेन के बिजनेस के लिए लोन नहीं लिया था, बल्कि 2015 में काजू और चावल खरीदने के लिए लोन लिया था. ये रकम भारत से हॉन्ग कॉन्ग ट्रांसफर की गई थी लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं खरीदा गया था. अलग-अलग कंपनियों के 59 खातों में पैसे भेजे गए थे.
ये मामला सबसे पहले 2015 में सामने आया था. लेकिन बैंक ने विक्रम कोठारी के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी की.
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