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Chhattisgarh सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ बिजनेस समिट (Chhattisgarh Business Summit 2022) का आयोजन मंगलवार 22 नवंबर को प्रगति मैदान, नई दिल्ली किया जा रहा है. इस समिट में देश के विभिन्न हिस्सों से उद्यमी निर्यातक और व्यावसायी भी शामिल होंगे. छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री कवासी लखमा (Kawasi Lakhma) इस आयोजन में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में औद्योगिक संभावनाओं की जानकारी देने के साथ ही उन्हें निवेश के लिए प्रोत्साहित करेंगे. वहीं उद्योग मंत्री लखमा के साथ इस बिजनेस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के उद्योग से जुड़े विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भी मौजूद रहेगी. यह टीम इलेक्ट्रॉनिक्स, लघु वनोपज और हस्तशिल्प और हथकरघा आदि क्षेत्रों के व्यवसायियों, उद्यमियों और निर्यातकों को छत्तीसगढ़ में उद्योग, व्यापार की संभावनाओं के साथ-साथ निवेश के लिए भी आमंत्रित करेगी.
सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. उद्यमियों के लिए कई प्रकार की रियायत और सुविधाएं दी जा रही हैं. हाल में ही छत्तीसगढ़ ने इज ऑफ डुईंग में लम्बी छलांग लगाई है.
बता दें कि इज ऑफ डुईंग में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है. इसके साथ ही उद्योगों की स्थापना की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सिंगल विंडो प्रणाली लागू की गई है.
छत्तीसगढ़ की नई उद्योग नीति में कृषि और वनोपज से जुड़े उद्योगों को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है. छत्तीसगढ़ की नई राजधानी में इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों की स्थापना के लिए इलेक्ट्रॉनिक एवं मैन्यूफैक्चरिंग कॉम्पेक्स बनाया जा रहा है. इसी तरह विभिन्न औद्योगिक पार्क भी विकसित किए जा रहे हैं. कोर सेक्टर के उद्योगों की स्थापना के लिए उद्यमियों को निवेश के लिए आमंत्रित किया जा रहा है.
कार्यक्रम का उदघाटन छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत (Amarjeet Bhagat) ने किया. हालांकि इससे पूर्व खाद्य व संस्कृति मंत्री ने छत्तीसगढ़ पवेलियन का अवलोकन किया, जहां अलग-अलग स्टॉलों का भ्रमण कर कलाकारों से जानकारी ली और उन्हें प्रोत्साहित किया.
वहीं बिजनेस समिट से पहले प्रगति मैदान में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से समां बांधा, जहां एमफी थियेटर में छत्तीसगढ़ की लोक कला व संस्कृति की अनुपम छटा बिखरी. गौरतलब है कि प्रगति मैदान के एमफी थियेटर में छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति व कला के बड़ी संख्या में लोग आज साक्षी बने. दर्शकों ने भी भरपूर तालियां बजाकर कलाकारों का प्रोत्साहन किया. वहीं छत्तीसगढ़ से आये कलाकारों ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न उत्सवों, तीज त्योहारों पर किए जाने वाले नृत्यों की प्रस्तुति दी. इस दौरान सांस्कृतिक संध्या में खाद्य व संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी खुद को रोक नहीं सके और मंच पर पहुँच कर उन्होंने भी कलाकारों का खूब साथ दिया.
बता दें कि भिलाई से आए लोक रागनी दल के कलाकारों ने सबसे पहले देवी पूजन से नृत्य की शुरुआत की, जिसमें देवी द्वारा राक्षस के नरसंहार को दिखाया गया. महिला कलाकारों द्वारा भोजली नृत्य के बाद सुआ नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ की नृत्य कौशल को प्रस्तुत किया.
दरअसल, सुआ नृत्य मूलतः महिलाओं और किशोरियों का नृत्य है. इस नृत्य में महिलाएं एक टोकरी में सुआ (मिट्टी का बना तोता) को रखकर उसके चारों ओर नृत्य करती है और सुआ गीत गाती है और हाँथ से या लकड़ी के टुकड़ों से ताली बजाती है. इस नृत्य के समापन पर शिव गौरी विवाह का आयोजन किया जाता हैं. जिसके बाद गेंडी नृत्य की प्रस्तुति की गई. यह पुरुष प्रधान नृत्य है, जिसमें पुरुष तीव्र गति व कुशलता के साथ गेड़ी पर शारीरिक संतुलन को बरकरार रखते हुए नृत्य करते हैं. यह नृत्य शारीरिक कौशल और संतुलन को प्रदर्शित करता है.
इसके अलावा बस्तर के जनजातियों द्वारा किये जाने वाला परब नृत्य की प्रस्तुति दी गई. दरअसल, यह नृत्य बस्तर में निवास करने वाले धुरवा जनजाति के द्वारा किया जाता है. इस नृत्य को सैनिक नृत्य भी कहा जाता है, क्योंकि नर्तक नृत्य के दौरान वीरता के प्रतीक चिन्ह कुल्हाड़ी व तलवार लिए होते हैं. इस नृत्य का आयोजन मड़ई के अवसर पर किया जाता है. इतना ही नहीं कलाकारों ने बस्तर के मारिया जनजाति के द्वारा जात्रा पर्व पर किए जाने वाला गौर नृत्य प्रस्तुत किया गया.
इसके साथ ही कलाकारों ने छत्तीसगढ़ का पारम्परिक नृत्य करमा की प्रस्तुति दी.
इस अवसर पर संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य, उद्योग विभाग के विशेष सचिव हिमशिखर गुप्ता, संस्कृति परिषद के योगेंद्र त्रिपाठी, खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी, सीएसआईडीसी के प्रबंध संचालक अरुण प्रसाद, लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्याम सुंदर बजाज आवासीय, आयुक्त अजीत वसंत समेत कईअन्य अधिकारी उपस्थित रहे.
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