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छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र में मुखबिर तंत्र मजबूत करने की कवायद

छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र में मुखबिर तंत्र मजबूत करने की कवायद

IANS
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छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र में मुखबिर तंत्र मजबूत करने की कवायद
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छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र में मुखबिर तंत्र मजबूत करने की कवायद
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 रायपुर, 22 जुलाई (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के प्रभाव को कम करने के लिए पुलिस मुखबिर तंत्र को मजबूत करने में जुट गई है, इसके लिए नक्सलियों के प्रोपेगंडा अभियान के खिलाफ पुलिस ने अपना अभियान तेज कर दिया है।

  नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस का 'सूचना दो इनाम पाओ' अभियान जारी है। इसके लिए सर्वजनिक स्थानों पर बड़े-बड़े पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इन पोस्टरों में सक्रिय नक्सलियों की तस्वीरें तो हैं ही, साथ में आमजन को पुलिस अधिकारियों के मोबाइल फोन नंबर भी उपलब्ध कराए गए हैं, जिन पर आमजन नक्सलियों के संदर्भ में सूचना दे सकते हैं। ऐसा करने पर सूचनाकर्ता को इनाम दिया जाएगा। दूसरी ओर, समर्पण करने पर नक्सलियों को सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का ब्यौरा भी है।

नक्सल अभियान के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) सुंदरराज पी. ने आईएएनएस को बताया कि पुलिस द्वारा नक्सलवादियों के गतिविधियों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है, पोस्टर आदि भी लगाए जाते हैं। वर्तमान में पोस्टर सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जा रहे हैं, इसका मसकद मुखबिर तंत्र को मजबूत करना भी है। इन पोस्टरों के जरिए जहां लोगों को नक्सलियों के बारे में जानकारी होगी, वहीं वे पुलिस से आसानी से मोबाइल फोन के जरिए संवाद भी कर सकेंगे। इसके अलावा आत्मसमर्पण के इच्छुक नक्सली भी सरकार की योजना को बेहतर तरीके से जान सकेंगे।

पुलिस सूत्रों अनुसार, नक्सलियों की गतिविधियों को कमजोर करने के लिए पुलिस की कोशिश है कि मुखबिर तंत्र को मजबूत बनाया जाए। जब भी जिस क्षेत्र में पुलिस का मुखबिर तंत्र मजबूत रहा, वहां आपराधिक गतिविधियां कम हुईं, इसलिए पुलिस ग्रामीणों के बीच अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है। मकसद पूरा करने में यह पोस्टर अभियान ज्यादा मददगार होगा।

बताया गया है कि पिछले अनुभवों से सीख लेते हुए पुलिस ने पोस्टर किसी के घर या छत पर लगाने से परहेज किया है, क्योंकि नक्सली उन लेागों को परेशान करते थे, जिनके मकान पर पोस्टर लगाए जाते थे। इसलिए इस बार सतर्कता बरतते हुए पोस्टर सरकारी भवनों व पेड़ पर लगाए जा रहे हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि अब तक नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करने पर ज्यादा जोर दिया जाता था, मगर अब आमजन को पुलिस से जोड़ने की कोशिश भी हो रही है। इसका लाभ यह होगा कि नक्सलियों का डर कम होगा, ग्रामीण पुलिस के नजदीक आएंगे और नक्सलियों की गतिविधियां साझा करने में हिचकेंगे नहीं। इसके चलते नक्सलियों की साजिश या योजना की जानकारी पहले ही पुलिस को हो जाएगी और आपराधिक वारदात पर अंकुश लग सकेगा।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस और प्रशासन द्वारा लगातार नवाचारों का सहारा लिया जा रहा है। सुकमा में जहां जिलाधिकारी चंदन कुमार व पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर नक्सलवाद प्रभावित गांवों का दौरा किया तो बाद में यहां पुलिस ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनने के लिए चलित थाना 'अंजोर रथ' चलाया है। इसके अलावा दंतेवाड़ा में नक्सल प्रभावित इलाकों पर फिल्म बनाई जा रही है और नक्सलियों के स्मारकों को भी तोड़ा जा रहा है।

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