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रायपुर, 27 अगस्त (आईएएनएस)| छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बेटे व पूर्व सांसद अभिषेक सिंह के खिलाफ चिटफंड घोटाले में अदालत के आदेश पर थानों में शिकायतों (रिपोर्ट दर्ज होने) की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
राजनांदगांव में दर्ज हुई पांच रिपोर्टो के बाद यह आंकड़ा 27 पर पहुंच गया है। भाजपा इसे दुर्भावना की कार्रवाई बता रही है तो सरकार इसे अदालत के आदेश पर कार्रवाई करार दे रही है।
राज्य में भाजपा के काल में चिटफंड का कारोबार एक दशक तक चला। यहां तमाम कंपनियों ने लोगों को सवाधि (एफडी) सहित अन्य लाभदायक योजना में राशि जमा कर तीन साल में ही दोगुना करने का प्रलोभन दिया। इसके चलते राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगभग 50 हजार लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई को इन कंपनियों के हवाले कर दिया। उसके बाद इनमें से अधिकांश कंपनियां चंपत हो गईं।
चिटफंड घोटाले के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले बसंत शर्मा ने बताया कि राज्य में लगभग 100 चिटफंड कंपनियां सक्रिय रही हैं, जिनमें 60 अवैध और 40 प्रतिबंधित कंपनियां थीं। इन कंपनियों ने सरकार द्वारा लगाए जाने वाले रोजगार मेलों में अपने स्टॉल लगाए और लोगों को एजेंट बनाया। इन एजेंटों के द्वारा लोगों ने निवेश किया। इन कंपनियों ने कई सैकड़ों करोड़ रुपये की रकम गरीबों की जेब से निकाली। इन कंपनियों को प्रशासन का भी सहायोग खूब मिला। यह सब भाजपा के शासनकाल में खूब चला।
जानकारों की मानें तो राज्य के लगभग 20 लाख लोगों पर इस घेटाले का असर पड़ा है। रिजर्व बैंक और सेबी की रोक के बावजूद राज्य में चिटफंड का काम जोरों पर चला। आमजन को धोखे में रखा गया, रोजगार मेला में चिटफंड कंपनियों के स्टॉल लगते थे, जिससे लोगों को यह भ्रम होता था कि ये कंपनियां सरकारी हैं। लिहाजा, लोगों ने अपने जीवन की सारी पूंजी दाव पर लगा दी। वर्तमान में यह प्रकरण बिलासपुर उच्च न्यायालय में लंबित है।
चिटफंड का शिकार बने लोगों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाले देवर्षि ठाकुर ने आईएएनएस को बताया कि अब तक कुल 41 मामलों में विभिन्न अदालतों ने मामला दर्ज करने के आदेश दिए। वहीं चिटफंड से राजनांदगांव में 88, सूरजपुर व बैकुंठपुर न्यायालय में 30, अंबिकापुर में 40 और उच्च न्यायालय में 30 याचिकाएं लंबित हैं।
सूत्र बताते हैं कि राज्य के विभिन्न स्थानों पर दर्ज हुई रिपोर्ट में 27 मामलों में पूर्व सांसद (पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे) अभिषेक सिंह को आरोपी बनाया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने संबंधित चिटफंड कंपनी के लिए ब्रांड एम्बेसडर का काम किया है। जहां भी रोजगार मेला लगता था, वहां अभिषेक सिंह की चिटफंड कंपनी द्वारा तस्वीरें लगाकर विज्ञापन जारी किए जाते थे।
इन मामलों के दर्ज होने को पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दुर्भावना से प्रेरित करार दिया है। उनका कहना है कि यह अनूठा राज्य है, जहां फोटो खिंचाने पर 27 एफआईआर दर्ज हुई हैं। सिर्फ फोटो खिंचवाई हैं, उसके अलावा कोई तथ्य नहीं है, सारे मामले राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है।
दूसरी ओर, राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि यह कार्रवाई न्यायालय के आदेश पर हुई है, इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं है।
राज्य में सत्ता बदलाव के बाद कांग्रेस सरकार ने चिटफंड कंपनियों के प्रभावितों से वादा किया है कि उनकी जो रकम चिटफंड कंपनी ने हड़पी है, वह सरकार उन्हें वापस दिलाएगी। इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
अभिषेक सिंह के खिलाफ रिपोर्ट लगातार दर्ज हो रही है, मगर उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है, क्योंकि फिलहाल उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली हुई है। चिटफंड मामले में हाईकोर्ट के आदेश को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने अगले आदेश तक अभिषेक के खिलाफ किसी तरह की विपरीत कार्रवाई (कोरसिव स्टेप) पर रोक लगाई हुई है।
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