Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019'कार्बन उत्सर्जन में 1% अमीरों का योगदान 66% गरीबों से ज्यादा'- रिसर्च में खुलासा| 10 Point

'कार्बन उत्सर्जन में 1% अमीरों का योगदान 66% गरीबों से ज्यादा'- रिसर्च में खुलासा| 10 Point

"आलीशान जीवन जीने वाले यह सबसे अमीर 1% लोग केवल 2019 में 5.9 बिलियन टन CO2 उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार थे"- रिसर्च

क्विंट हिंदी
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>1% अमीरों का कार्बन उत्सर्जन में योगदान 66% गरीबों से ज्यादा- रिसर्च, 10 प्वाइंट</p></div>
i

1% अमीरों का कार्बन उत्सर्जन में योगदान 66% गरीबों से ज्यादा- रिसर्च, 10 प्वाइंट

फोटो: iStockphoto)

advertisement

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की तरफ ध्यान जाते ही अक्सर कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) को लेकर वैश्विक मंचों पर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं. इसे कम करने के दावे भी किए जाते रहे हैं और कई देशों ने लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं.

लेकिन फिर एक बार कार्बन उत्सर्जन को लेकर रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे अमीर 1% लोगों का कार्बन उत्सर्जन में योगदान, दुनिया के सबसे गरीब 66% लोगों से भी ज्यादा है.

द गार्जियन, ऑक्सफैम, स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट और कुछ एक्सपर्ट्स द्वारा मिलकर तैयार की गई एक रिपोर्ट 'द ग्रेट कार्बन डिवाइड' में ये दावा किया गया है.

इस रिपोर्ट में कार्बन उत्सर्जन और उससे जुड़े क्या तथ्य निकल कर सामने आए हैं, आइए प्वाइंट्स में समझते हैं...

रिपोर्ट में सामने आए तथ्य

  • सबसे अमीर 1% लोग सबसे गरीब 66% लोगों की तुलना में ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं. कमजोर समुदायों और जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों पर इसके गंभीर परिणाम पड़ रहे हैं.

  • इन 1% लोगों में अरबपति, करोड़पति और हर साल करीब 140,000 अमेरिकी डॉलर (यानी 1 करोड़ 16 लाख रुपये) से ज्यादा कमाने वाले 77 मिलियन लोग शामिल हैं. इन लोगों की 2019 में कुल कार्बन उत्सर्जन में 16% भागीदारी थी.

रिपोर्ट के अनुसार, आलीशान जीवन जीने वाले यह सबसे अमीर 1% लोग केवल 2019 में 5.9 बिलियन टन CO2 उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार थे.
  • "मोर्टेलिटी कोस्ट" फॉर्मूला के अनुसार, प्रति मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन पर दुनिया भर में हर साल 226 अतिरिक्त मौतें होंगी. अकेले 1% लोगों के कार्बन उत्सर्जन के चलते दुनिया भर में 1.3 मिलियन (13 लाख) लोगों की गर्मी से संबंधित मौतें हो सकती हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
  • 1990 से 2019 के बीच, 1% लोगों के कुल कार्बन उत्सर्जन की फसलों की बर्बादी से तुलना करें तो इतना उत्सर्जन 2022 की यूरोपीय संघ की पूरी मकई की फसल, अमेरिकी गेहूं, बांग्लादेशी चावल और चीन के सोयाबीन की फसल को बर्बाद करने के बराबर था.

  • रिसर्च के अनुसार, गरीब लोगों, हाशिये पर रहने वाले जातीय समुदायों, प्रवासियों और महिलाओं पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ता है. इन लोगों के पास बचत, बीमा या सामाजिक सुरक्षा जैसी चीजें कम होती हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, बाढ़, सूखा जैसी मौसम संबंधित 91% मौतें विकासशील देशों में होती हैं.

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि नीचे के 99% लोगों में से किसी को भी उतना कार्बन पैदा करने में लगभग 1,500 साल लगेंगे, जितना 1% में आने वाला अमीर अरबपति एक साल में करता है.

  • राष्ट्रों के बीच आर्थिक असमानता का भी कार्बन उत्सर्जन पर प्रभाव पड़ता है. रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में उच्च आय वाले देशों की (ज्यादातर वैश्विक उत्तर में) वैश्विक काबर्न उत्सर्जन में 40% भागीदारी है, जबकि कम आय वाले देशों (ज्यादातर ग्लोबल साउथ) में महज 0.4% है.

दुनिया के हर छह में से एक व्यक्ति अफ्रीका से है, लेकिन इसकी कार्बन उत्सर्जन में केवल 4% जिम्मेदार है.
  • निजी जेट और अंतरिक्ष विमानों के लॉन्च साइट जगहों का 0.1% कार्बन फुटप्रिंट- ग्लोबल वार्मिंग को 1.5C पर पहुंचाने के लिए सबसे ऊपरी लिमिट के भी स्तर से 77 गुना ज्यादा है.

  • कार्बन उत्सजर्न लगातार क्यों बढ़ रहा है, इसके कुछ कारणों की भी पहचान की गई है. उदाहरण के लिए अमेरिकी संसद में हर चार में से एक सांसद का पैसा किसी न किसी जीवाश्म ईंधन कंपनी के स्टॉक में लगा हुआ है. ये रकम 33 मिलियन डॉलर से 93 मिलियन डॉलर के बीच है. वैश्विक नॉर्थ में सरकारों ने 2020 में जीवाश्म ईंधन उद्योग को 1.8 ट्रिलियन डॉलर (1.8 लाख करोड़ ) सब्सिडी के तौर पर दी. ये कार्बन उत्सर्जन को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के अंतर्राष्ट्रीय वादों के उलट है.

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अमीर 1% लोगों की आय पर 60% टैक्स से हर साल 6.4 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी होगी और उत्सर्जन में 695 मिलियन टन की कमी आ सकती है, जो UK के 2019 के उत्सर्जन के बराबर होगा.

30 नवंबर से 12 दिसंबर तक संयुक्त अरब अमिरात के दुबई में 28वां जलवायु सम्मेलन (COP 28) होने जा रहा है. इसमें एक बार फिर कार्बन उत्सर्जन का मुद्दा प्रमुख एजेंडा हो सकता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT