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अतीक अहमद से लेकर संजीव जीवा हत्याकांड तक: एक ही पैटर्न पर वारदात को अंजाम?

Atiq-Ashraf Murder और संजीव जीवा हत्या, दोनों ही मामलों में विदेशी असलहों का इस्तेमाल किया गया.

पीयूष राय
क्राइम
Published:
<div class="paragraphs"><p>अतीक अहमद से लेकर संजीव जीवा हत्याकांड तक: एक ही पैटर्न पर वारदात को अंजाम? </p></div>
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अतीक अहमद से लेकर संजीव जीवा हत्याकांड तक: एक ही पैटर्न पर वारदात को अंजाम?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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इसी साल 15 अप्रैल को पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ (Atiq-Ashraf Murder Case) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पत्रकार की भेष में आए तीन शूटरों ने अस्पताल से निकल रहे अतीक और अशरफ को प्वाइंट ब्लैंक रेंज से कई गोलियां दागी थीं. घटना की लाइव तस्वीरों ने लोगों को हिला कर रख दिया था. पुलिस कस्टडी में जिस तरीके से यह हत्या की गई थी, उससे कई सवाल उठे थे, जिनके जवाब अभी तक नहीं मिल पाए हैं.

सनसनीखेज डबल मर्डर का यह मामला अभी तक शांत नहीं हुआ था कि 7 जून 2023 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर संजीव महेश्वरी जीवा को लखनऊ की एक कोर्ट में गोली मारकर हत्या कर दी गई.

लखनऊ में भरी अदालत में जज, वकीलों और पुलिस के बीच हुए इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड के घटनाक्रम की बात करें तो कुछ ऐसे पहलू निकल कर आ रहे हैं, जिससे यह साफ पता चल रहा है कि प्रयागराज में हुए अतीक अहमद हत्याकांड और लखनऊ के संजीव जीवा हत्याकांड की कई कड़ियां आपस में एक जैसी हैं.

भेष बदलकर आए शूटर, मौके पर किया सरेंडर

पुलिस और मीडिया कर्मियों से घिरे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को मीडिया कर्मी बनकर आए तीन शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. प्वाइंट ब्लैंक रेंज से ताबड़तोड़ फायरिंग करने के बाद नारे लगाते हुए तीनों शूटरों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. तीनों आरोपियों में से किसी ने भी मौके से भागने की कोशिश नहीं की. यह पूरा घटनाक्रम वहां के स्थानीय मीडियाकर्मियों के कैमरे में कैद हो गया था.

कुछ ऐसा ही वाकया 7 जून को लखनऊ में देखने को मिला, जहां पर वकील की भेष में आए एक शूटर विजय यादव ने कोर्ट के अंदर पेशी पर आए संजीव जीवा की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी. बाद में वकीलों की मदद से आरोपी विजय को मौके पर से गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटना में एक मासूम बच्ची को भी गोली लगी जिसका इलाज चल रहा है.

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दोनों ही मामलों में विदेशी असलहों का प्रयोग

संजीव जीवा की हत्या में मैग्नम अल्फा पॉइंट .357 बोर की चेक रिपब्लिक की बनी रिवाल्वर का प्रयोग हुआ है. इस घटना के सबसे बड़ा सवाल यह है कि विजय यादव के पास यह विदेशी असलहा कैसे आया? जौनपुर के एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आने वाले विजय यादव का किसी कुख्यात गैंग या माफिया से कोई संबंध नहीं रहा है.

हालांकि उसके खिलाफ दो मामले दर्ज हैं, जिसमें एक पॉक्सो का भी है. विजय के पिता श्याम यादव के मुताबिक उनका बेटा जौनपुर के स्थानीय कॉलेज से बीकॉम किया है.

श्याम ने बताया कि दो-तीन महीने पहले महाराष्ट्र में अपनी नौकरी छोड़ कर विजय वापस घर आ गया था. अपने तक सीमित रहने वाले विजय की गैंगस्टर संजीव जीवा से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि उसकी हत्या कर दी?

अतीक अहमद हत्याकांड में भी ऐसे ही सवाल

ऐसे ही सवाल अतीक हत्याकांड के बाद भी उभर कर आए थे. घटना में शामिल तीनों शूटरों के खिलाफ आपराधिक मामले तो दर्ज थे लेकिन किसी बड़े माफिया या गैंग से उनके संबंध को लेकर अभी कोई साक्ष्य सामने नहीं आए हैं.

  • जांच में अभी यह भी खुलकर सामने नहीं आ पाया है कि यह तीनों शूटर एक दूसरे को कैसे जानते थे.

  • मध्यम वर्गीय या गरीब परिवार से आने वाले इन तीनों शूटरों को विदेशी असलहों की सप्लाई किसने की?

  • तीनों शूटर आपस में एक दूसरे को कैसे जानते थे और इनकी अतीक अहमद से क्या दुश्मनी थी?

इन सभी सवालों का अभी तक कोई संतोषजनक जवाब नहीं आ पाया है.

सुरक्षा जानबूझकर कम की गई?

संजीव जीवा हत्याकांड के चश्मदीद और लखनऊ सिविल कोर्ट में वकील प्रखर मिश्रा की मानें तो 5-6 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा घेरे में संजीव जीवा को अदालत में पेश किया गया था. प्रखर मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि

अमूमन कड़ी सुरक्षा, बुलेट- प्रूफ जैकेट और हेलमेट के साथ ही संजीव जीवा को कोर्ट में लाया जाता था. 7 जून 2023 को जब जीवा को सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया तो उसकी सुरक्षा में सिर्फ 5-6 पुलिस वाले थे.
गोली लगने के बाद जमीन पर पड़े संजीव जीवा को 15-20 मिनट तक कोई भी इमरजेंसी सहायता नहीं मिली. ऐसे में आरोप लग रहे हैं कि सुरक्षा में चूक जानबूझकर की गई है.

इस तरह के सवाल और आरोप अतीक हत्याकांड के दौरान सामने आए थे. 15 अप्रैल 2023 को अतीक और अशरफ को मेडिकल परीक्षण के लिए अस्पताल ले जाया गया था. आरोप था कि कड़ी सुरक्षा के बीच रहने वाले अतीक और अशरफ की सुरक्षा में घटना के दिन सामान्य से कम पुलिस वालों की तैनाती थी. अतीक और अशरफ की हत्या हॉस्पिटल कैंपस में हुई थी. गोली लगने के बाद जमीन पर पड़े अतीक और अशरफ को कोई भी इमरजेंसी मेडिकल सहायता मुहैया नहीं कराई गई.

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