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प्रयागराज (Prayagraj) के बहुचर्चित अतीक अहमद (Atiq Ahmed Murder) और अशरफ हत्याकांड में अब एक और गैंगस्टर का नाम जुड़ रहा है. हत्याकांड का आरोपी मोहित उर्फ सनी (Mohit alias Sunny) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर सुंदर भाटी (Sundar Bhati) का गुर्गा बताया जा रहा है. सुंदर भाटी फिलहाल सोनभद्र जेल में बंद है. आशंका जताई जा रही है कि अतीक की हत्या जिस तुर्की मेड जिगाना पिस्टल से हुई, वह सुंदर भाटी के नेटवर्क से ही सनी को मिली थी. चलिए आपको बतातें कि आखिर सुंदर भाटी कौन है? उसका अतीक और अशरफ की हत्या से क्या कनेक्शन है? सनी कैसे सुंदर भाटी के संपर्क में आया?
15 अप्रैल यानी शनिवार रात को अतीक और अशरफ की पुलिस और मीडिया की मौजूदगी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हमलावरों ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए तुर्की मेड जिगाना पिस्टल का इस्तेमाल किया था. ये पिस्टल भारत में बैन है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो शनिवार को आरोपियों ने 22 सेकेंड में 14 राउंड फायर किए गए थे. तुर्की में बनने वाली जिगाना पिस्टल 5 से 6 लाख में आती है. लेकिन यहां सवाल है कि ये आरोपियों को कैसी मिली?
बताया जा रहा है कि इस दौरान उसकी मुलाकात हमीरपुर जेल में बंद गैंगस्टर सुंदर भाटी से हुई. जल्द ही सनी सुंदर भाटी का करीबी बन गया. जेल से निकलने के बाद सनी सुंदर भाटी गैंग के लिए काम करने लगा. कहा जा रहा है कि, जो विदेशी पिस्टल मिली है, वो सुंदर भाटी गैंग ने ही उसे उपलब्ध कराई थी. हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है.
एक जमाने में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सुंदर भाटी की तूती बोलती थी. सुंदर अपराध की दुनिया का सबसे खतरनाक नाम हुआ करता था. यूपी पुलिस से लेकर दिल्ली और हरियाणा पुलिस के लिए वह चुनौती था. उस पर हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी, लूट, मारपीट के 60 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. साल 2021 में सुंदर भाटी को हरेंद्र प्रधान की हत्या मामले में आजीवान कारावास की सजा सुनाई गई थी. वर्तमान में वह सोनभद्र जेल में बंद है.
चलिए आपको बताते हैं कि कैसे सुंदर ने जरायम की दुनिया में कदम रखा. बात 90 के दशक की है. दिल्ली पुलिस ने 1992 में कुख्यात सतबीर गुर्जर को ढेर कर दिया था. सतवीर की मौत के बाद सुंदर भाटी का उदय हुआ. तब सुंदर भाटी का नाम मारपीट तक ही सीमित था. यह वही समय था जब सुंदर और नरेश भाटी की दोस्ती हुई थी. नरेश ने अपने परिवार की हत्या का बदला लेने के लिए क्राइम की दुनिया में कदम रखा था. दोनों के बीच की दोस्ती यूपी-दिल्ली-हरियाणा के गैंगस्टर्स में भी मशहूर थी. इसी दोस्ती की वजह से सुंदर ने नरेश के परिवार वालों की मौत का बदला लिया. लेकिन बाद में ये दोस्ती दुश्मनी में बदल गई.
सुंदर और नरेश की दोस्ती ज्यादा समय तक नहीं चली और दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई. दरअसल, दोनों ट्रक यूनियन पर कब्जा जमाना चाहते थे. इसके जरिए दोनों की नजर राजनीति में एंट्री करने पर थी. लेकिन दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए और जिस दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, उसमें दरार पड़ गई. दोनों के बीच गैंगवार शुरू हुआ तो ट्रक यूनियन के अध्यक्षों की हत्या कर दी गई.
2011 में सुंदर पर नरेश के भांजे ने गाजियाबाद में हमला किया था. अमित कसाना गैंग के इस हमले में सुंदर तो बच गया, लेकिन 3 अन्य लोग मारे गए. लंबे समय से फरार चल रहे सुंदर भाटी को आखिरकार यूपी पुलिस ने साल 2014 में नोएडा से गिरफ्तार किया. तभी से वह यूपी की जेलों में बंद है.
उत्तर प्रदेश में साल 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद सुंदर भाटी और उसके गिरोह पर पुलिस ने और शिकंजा कसा. सुंदर भाटी और उसके साथियों की करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर दी गई. सुंदर भाटी और उसके गुर्गों पर बुलंदशहर, दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद सहित कई जगहों पर हत्या और हत्या की साजिश के 11 केस, लूटपाट, रंगदारी, जबरन वसूली, धमकी जैसे मामलों में करीब 150 केस दर्ज हैं.
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