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छोटी उम्र में गुस्सा या चिढ़ना आम बात है, क्योंकि इस उम्र में चीजों को समझना आसान नहीं होता, लेकिन मोबाइल की लत के कारण ये और बढ़ रहा है. अगर बच्चे को फोन का इस्तेमाल करने से रोका जाए तो उनमें गुस्सा होने की प्रवृति बढ़ रही है. यहां तक कि वो आत्महत्या जैसा घातक कदम तक उठा ले रहे हैं. ताजा मामला मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का है जहां पर परिजन द्वारा मोबाइल चलाने से मना करने पर चौथी क्लास की स्टूडेंट ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कोलार इलाके में पेशे से मजदूर भजनलाल ने ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के मकसद से अपनी चौथी क्लास में पड़ रही बेटी दुर्गा को मोबाइल दिलवाया था. मगर दुर्गा मोबाइल एडिक्ट हो गई और अपना ज्यादतार समय मोबाइल में गेम खेलने और नेट सर्फिंग आदि में बिताने लगी.
कोलार थाना प्रभारी चन्द्रकांत पटेल ने बताया कि कान्हाकुंज फेस -टू निवासी भजनलाल की 12 वर्षीय बेटी दुर्गा कक्षा चौथी की छात्रा थी. पेशे से मजदूर भजनलाल अपनी मां ,पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं और छोटी बेटी दुर्गा इलाके के सरकारी स्कूल में पढ़ती थी.
रात लगभग 11 बजे परिवार वाले अंदर गए तो दुर्गा को दुपट्टे के फंदे पर लटका देखा. परिजनों ने बताया कि दुर्गा जिद्दी स्वभाव की थी , जो ठान लेती थी उसे चाहिए होता था. वहीं उसे गुस्सा भी बहुत आता था.
लॉकडाउन के दौरान बच्चों का घर में बैठे स्वभाव परिवर्तन हो गया है. साथ ही ऑनलाइन क्लास के मकसद से बच्चों को दिया गया मोबाइल बच्चों को पहले से ज्यादा चिड़चिड़ा बना रहा है. मोबाइल ही उनकी दुनिया हो गई है. मनोचिकित्सकों का कहना है ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वे सब्र से काम लें और बच्चों के मानसिक विकास को ध्यान में रखें.
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