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दिल्ली रेप केस: आरोपी अधिकारी खुद POCSO ट्रेनर, सोशल वर्क में मास्टर्स डिग्री भी

Delhi Rape Case: आरोपी अधिकारी और उसकी पत्नी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

वर्षा श्रीराम
क्राइम
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<div class="paragraphs"><p>दिल्ली रेप केस: कैसे हुआ मामले का खुलासा? आरोपी अधिकारी कौन? पुलिस ने क्या बताया?</p></div>
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दिल्ली रेप केस: कैसे हुआ मामले का खुलासा? आरोपी अधिकारी कौन? पुलिस ने क्या बताया?

(फोटो: चेतन भाकुनी/द क्विंट)

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दिल्ली (Delhi) सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी (51 वर्ष) को पुलिस ने सोमवार, 21 अगस्त)को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी पर अपने मृत दोस्त की 17 वर्षीय बेटी के साथ 2020 और 2021 के बीच कई बार रेप करने और उसे प्रेगनेंट करने के आरोप है.

जानकारी के अनुसार, आरोपी अधिकारी पूर्व में दिल्ली सरकार के मंत्री का पूर्व विशेष कर्तव्य अधिकारी (OSD), बाल संरक्षण पर एक संसाधन ट्रेनर (POCSO Trainer) और दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास (WCD) विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर रह चुका है.

21 अगस्त को मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPc) की धारा 164 के बयान में, सर्वाइवर ने आरोपी का नाम लिया, जिसे वह "मामा" कहती थी.

पुलिस सूत्रों ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "नाबालिग सर्वाइवर ने आरोप लगाया कि उसके "मामा" ने चार महीने तक उसके साथ कई बार रेप किया."

'25 वर्षों से अधिक की नौकरी में अधिकारी ने बाल कल्याण के लिए काम किया'

पुलिस अधिकारियों ने क्विंट हिंदी को बताया कि आरोपी दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) से सोशल वर्क में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1998 में दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विभाग (WCD) में वरिष्ठ अधिकारी के रूप में तैनात है.

आरोपी की लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, उसने पिछले दो दशकों में सरकार की बाल संरक्षण और बाल विकास योजनाओं को लागू करने पर काम किया है.

गिरफ्तारी के समय, आरोपी डिप्टी डायरेक्टर- लिटिगेशन एंड इंटीग्रेशन बाल विकास सर्विस के पद पर तैनात था. उसके लिंक्डइन प्रोफाइल में लिखा है कि उसे बाल संरक्षण - POCSO एक्ट- पर एक रिसोर्स प्रोवाइडर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है. गौरतलब है कि इसी एक्ट के तहत उस पर दिल्ली पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है.

ससपेंड होने से पहले अधिकारी ने कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों, देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों और बाल संरक्षण और विकास सुनिश्चित करने के लिए अन्य समान योजनाओं के पुनर्वास और सामाजिक पुनर्मिलन से संबंधित कई कार्यक्रमों पर भी काम किया.

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उसके (आरोपी) सोशल मीडिया प्रोफाइल के अनुसार, वह किशोर न्याय (CPC) नियम 2016 के लिए मसौदा समिति के सदस्य भी था, जिन्हें अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है. आरोपी सरकारी बालक संप्रेक्षण गृह का प्रभारी भी था.

13 मार्च 2022 के दिल्ली सरकार के आदेश के अनुसार, अधिकारी को तत्कालीन डब्ल्यूसीडी मंत्री कैलाश गहलोत के ओएसडी के रूप में तैनात किया गया था. बाद में आतिशी के कार्यभार संभालने के एक दिन बाद 10 मार्च 2023 से उन्हें ओएसडी के रूप में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया.

'आरोपी ने नाबालिग की देखभाल करने को कहा'

आरोपी और उसकी पत्नी के दो बच्चे हैं. पुलिस के अनुसार, आरोपी का परिवार और सर्वाइवर का परिवार उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके के एक चर्च में एक सामूहिक कार्यक्रम में मिले और कुछ ही समय बाद करीब आ गए.

उस वक्त सर्वाइवर का दाखिला 10वीं कक्षा में दाखिला उत्तरी दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में हुआ था. सर्वाइवर के पिता, जो आरोपी के दोस्त थे, की 1 अक्टूबर, 2020 को कोविड-19 महामारी के दौरान दिल की बीमारी से मृत्यु हो गई थी.

डीसीपी (उत्तर) कलसी ने क्विंट हिंदी को बताया, "जब अक्टूबर 2020 में लड़की ने अपने पिता को खो दिया, जो एक सरकारी अधिकारी थे, तो आरोपी ने उसे अपने घर ले जाने, उसकी देखभाल करने और उसे सदमे से उबरने में मदद करने की पेशकश की. "

क्विंट हिंदी को उन्होंने बताया, "पिता की मृत्यु के बाद, बच्ची और मां परेशान स्थिति में थे. मां मदद मांगने के लिए तैयार हो गई क्योंकि वह बेटी की देखभाल नहीं कर सकती थी."

कलसी के अनुसार, पिता की मृत्यु के बाद मां और पीड़िता दोनों "मानसिक रूप से परेशान" थीं.

मार्च 2021 में, आरोपी और सर्वाइवर का परिवार एक पारिवारिक समारोह के लिए झारखंड गये थे. पुलिस के मुताबिक, जब सर्वाइवर का पीरियड नहीं आया तो उसने आरोपी की पत्नी को इस बारे में बताया.

कथित तौर पर सर्वाइवर ने अपने बयान में बताया कि पत्नी ने दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ने वाले अपने 23 वर्षीय बेटे को गर्भपात की गोलियां लाने के लिए कहा और घर पर ही नाबालिग की प्रेगनेंसी को खत्म कर दिया.

सर्वाइवर ने अपनी मां से कहा कि वह घर लौटना चाहती है, लेकिन कभी अपनी आपबीती नहीं बताई. यह घटना तब सामने आई जब इस महीने की शुरुआत में लड़की को एंजाइटी अटैक आने लगे.

पुलिस सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया, "उसके इलाज और मानसिक मूल्यांकन के दौरान, एक पैटर्न था. उसके सभी बयान और खुलासे इस मामा की ओर निर्देशित थे और इस तरह परिवार को पता चला."

अब आरोपी अधिकारी और उसकी पत्नी, दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

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