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दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर सिंह बंधुओं समेत चार को रेलिगेयर धोखाधड़ी मामले में 31 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. मालविंदर और शिविंदर सिंह के साथ सुनीत गोधवानी, अनिल सक्सेना और कवि अरोड़ा को न्यायाधीश निशांत गर्ग के सामने पेश किया गया.
इस बीच सिंह बंधुओं और कवि अरोड़ा ने अदालत के सामने अपनी जमानत अर्जी दायर की, जिस पर गुरुवार को सुनवाई होगी.आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शिविंदर, सुनील गोधवानी को गिरफ्तार किया है जो रेलीगेयर के पूर्व एमडी हैं, जबकि कवि अरोड़ा और सुनील सक्सेना को बीते हफ्ते गिरफ्तार किया, जबकि मालविंदर को उसी दिन एक अलग छापे में गिरफ्तार किया गया.
गिरफ्तार किए गए लोगों पर रेलीगेयर इंटरप्राइजेज को 2,397 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है. प्राथमिकी में कहा गया कि आरोपियों, जिनके पास रेलिगेयर का कुल नियंत्रण था, उन्होंने कंपनियों को कर्ज देने के तरीके से कंपनी को वित्तीय रूप से कमजोर स्थिति में डाल दिया. प्राथमिकी में यह भी कहा गया कि ये कंपनिया उनके द्वारा नियंत्रित थी, लेकिन वित्तीय रूप से सक्षम नहीं थी.
फरवरी 2018 में मलविंदर और शिविंदर के निकल जाने के बाद रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के बोर्ड का पुनर्गठन हुआ था. रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के नए बोर्ड और मैनेजमेंट की इंटरनल इनक्वायरी के आधार पर यह शिकायत दर्ज कराई गई थी. फरवरी 2018 तक रेलिगेयर इंटरप्राइजेज का कंट्रोल सिंह भाइयों (मलविंदर और शिविंदर) के हाथ में था. रेलिगेयर फिनवेस्ट में अब अलग-अलग क्षेत्र के प्रोफेशनल हैं, जिनका प्रमोटर्स से कोई संबंध नहीं है. इसी बोर्ड की इनक्वायरी में 740 करोड़ रुपये के फंड के दुरुपयोग सामने आया है. इसके बाद से दोनों की गिरफ्तारी के आसार जताए जा रहे थे.
दरअसल, जापानी दवा कंपनी डाइची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये के पेमेंट आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को लेकर दोनों के बीच झगड़ा और बढ़ गया था. सितंबर 2018 में शिविंदर ने NCLT में एक पिटीशन दायर कर कहा था कि मलविंदर और रेलिगेयर के पूर्व चीफ सुनील गोधवानी की गतिविधियों की वजह से कंपनी को झटका लगा है.
(इनपुट: IANS)
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