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गाजियाबाद में एक मदरसे के अंदर रेप की शिकार दस साल की बच्ची के चाचा ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग न देने की अपील की है. लड़की हिंदू है और हाल में कठुआ में नाबालिग लड़की के साथ मंदिर में हुए बलात्कार के विरोध के बाद देश भर में उठे विरोध के मद्देनजर इसे हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की जा रही है.
एक वर्ग का कहना है कि कठुआ में हुए बलात्कार का विरोध करने के लिए तो लोग सड़कों पर उतर आए लेकिन गाजियाबाद में मदरसे के अंदर हिंदू बच्ची का बलात्कार हुआ. इसका विरोध नहीं हो रहा है. लेकिन बच्ची के चाचा का कहना है कि इसे सांप्रदायिक रंग न दिया जाए. बलात्कारियों का कोई धर्म नहीं होता.
जिस मदरसे में रेप हुआ था, उसे चलाने वाले मौलवी आरोपों के घेरे में हैं. डीजीपी (ईस्ट ) पंकज सिंह का कहना है कि अभी तक कि जांच के मुताबिक मौलवी ने लड़की से नहीं किया है. लेकिन उसे बच्ची के मदरसे में होने की जानकारी जरूर होगी. यह अलग बात है कि उसने इसकी जानकारी नहीं दी. बच्चे के भाई के जिस दोस्त ने रेप को अंजाम दिया वह मदरसे में रहता था. मेडिकल में रेप की पुष्टि हो गई है. इस मामले को जुवेनाइल बोर्ड भेजा गया है लेकिन 1 मई को बोन ओसिफिकेशन टेस्ट से पता चला कि बलात्कार का आरोपी नाबालिग नहीं है.
मामले से नाराज लोगों ने मौलवी के घर पर हमला कर दिया और तोड़फोड़ की.मौलवी की पत्नी और मौलवी ने खुद को कमरे के अंदर बंद कर लिया. इस बीच, सोशल मीडिया पर अभियान चलाने वालों ने इसे हिंदू बनाम मुसलमान मुद्दा बना दिया.
पोस्टकार्ड न्यूज ने इस पर यह कहते हुए स्टोरी की कि गाजियाबाद में रेप की शिकार मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू बच्ची थी इसलिए विरोध नहीं हो रहा है. पोस्टकार्ड न्यूज की हेडलाइन थी, न तो मीडिया और न बॉलीवुड और न छद्म उदारवादी ही इस रेप का विरोध करने के लिए आगे आ रहे हैं. न कोई तख्तियां दिखा रहा है और न ही कोई मोमबत्ती जला रहा है और न ही जस्टिस मांग रहा है. क्योंकि रेपिस्ट मौलवी था.
इधर, इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक साहिबाबाद के बीजेपी विधायक सुनील कुमार शर्मा ने चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी. उनका कहना है कि मदरसों में और भी दूसरी ‘गैरकानूनी गतिविधियां’ हो रही हैं. हालांकि क्विंट से बातचीत के दौरान डीसीपी पंकज सिंह ने इससे पूरी तरह इनकार किया है.
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