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8 बार हुआ हमला,पुलिस ने नहीं दी सुरक्षा,दलित सरपंच के पति की हत्या

गांव में ऊंची जाति के कुछ लोगों के साथ मृतक की पुरानी दुश्मनी थी.

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दलित सरपंच के पति की छह लोगों ने लाठियों और पाइपों से कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी.
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दलित सरपंच के पति की छह लोगों ने लाठियों और पाइपों से कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी.
(फोटो: क्विंट)

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गुजरात के बोटाद जिले में एक दलित सरपंच के पति की छह लोगों ने लाठियों और पाइपों से कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी. बुधवार को यह घटना उस समय हुई, जब पीड़ित अपनी मोटरसाइकिल से रणपुर-बरवाला सड़क से गुजर रहे थे. पुलिस ने यह जानकारी दी. इससे पहले भी मृतक के ऊपर आठ बार जानलेवा हमले हो चुके थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें सुरक्षा नहीं दी.

FIR में तीन लोग नामजद

घायल होने की वजह से आखिरी सांस लेने से पहले मृतक मांजीभाई सोलंकी ने अपने एक रिश्तेदार को फोन पर बयान दिया. बयान में उन्होंने दावा किया कि पहले उनकी बाइक में एक कार ने टक्कर मार दी और इसके बाद उस कार में सवार पांच से छह लोगों ने उनकी पिटाई की. सोलंकी के बेटे ने पुलिस एफआईआर में भागीरथ सिंह, किशनसिंह और हार्दिक सिंह को नामजद किया है. सोलंकी का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वह लगभग बेहोशी की स्थिति में हैं.

आपसी रंजिश बनी हत्या की वजह

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गांव में ऊंची जाति के कुछ लोगों के साथ सोलंकी की पुरानी दुश्मनी थी. शुरुआती जांच में पता चला है कि सोलंकी ने दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में लड़ने के लिए दलित समुदाय के कई सदस्यों की मदद की थी. इससे ऊंची जाति के कुछ लोग उनसे नाराज थे. उन्होंने बार-बार उसे जान से मारने की धमकी दी थी.

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गुहार के बावजूद पुलिस ने नहीं दी सुरक्षा

साल 2010 से 2018 के बीच सोलंकी पर आठ बार हमले हुए थे. लेकिन किस्मत से हर बार वो बच गए. यह बात भी सामने आई है कि पीड़ित और उनकी पत्नी ने कई बार पुलिस से सुरक्षा मांगी थी. लेकिन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया. 8 नवंबर, 2018 को उन्होंने गांधीनगर में जूनियर गृह मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा और राज्य के पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा से मुलाकात की थी और पुलिस सुरक्षा की मांग की थी. लेकिन पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई. 18 सितंबर 2016 को अंग्रेजी अखबार अहमदाबाद मिरर में छपी खबर के मुताबिक पीड़ित ने पुलिस स्टेशन के सामने अपनी पत्नी सहित आत्मदाह करने की कोशिश की थी.

खबरों के मुताबिक मांजीभाई के परिवार ने दावा किया है कि वे लगातार पुलिस सुरक्षा की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें पुलिस सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई गई. पीड़ित परिवार खुद पर लगातार हो रहे हमलों और पुलिस की अनदेखी से परेशान था. इस पर साल 2016 में परिवार ने पुलिस स्टेशन के सामने आत्महत्या की कोशिश भी की थी.

मांजीभाई के बेटे तुषार ने बताया कि पिछली बार उन पर तीन मार्च 2018 को हमला किया गया था. उसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा दी गई थी, जिसे तीन महीने बाद वापस ले लिया गया.
सोलंकी ने एक शस्त्र लाइसेंस के लिए भी आवेदन किया था जो बोटाद जिला कलेक्टर के पास लंबित है. बाद में, उन्होंने गृह मंत्री और डीजीपी से यह कहते हुए भी मदद मांगी थी कि उनकी जान को खतरा है. हालांकि, पुलिस की और से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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