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जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय प्रशासन ने रविवार को कहा कि सोशल मीडिया पर 15 दिसंबर की रात की घटना का वायरल हो रहा वीडियो उन्होंने जारी नहीं किया है. पूरे मामले से जामिया प्रशासन ने खुद को अलग कर लिया है. वीडियो में पुलिसकर्मियों को जामिया मिलिया इस्लामिया के लाइब्रेरी में कथित रूप से जबरन घुसते हुए देखा जा सकता है. इससे पहले क्षेत्र में सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) विरोधी प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने आगजनी और पत्थरबाजी की थी.
बता दें कि वायरल वीडियो यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों के ग्रुप जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (JCC) ने शनिवार 15 फरवरी को एक सीसीटीवी फुटेज जारी किया. दावा किया गया है कि ये फुटेज 15 दिसंबर, 2019 का है, जब दिल्ली पुलिस CAA-NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसक होने के बाद जामिया के कैंपस में घुसी थी.
वीडियो में सशस्त्र पुलिसकर्मियों को एक हॉल में प्रवेश करते हुए दिख रहे हैं. वे आते ही छात्रों को पीटने लगते हैं, जो वहां बैठे थे और पढ़ रहे थे. जामिया के छात्रों का दावा है कि वीडियो एमए / एमफिल विभाग के ओल्ड रीडिंग हॉल का है.
मीडिया के लिए जारी बयान में विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा, "हमारे संज्ञान में आया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के डॉ. जाकिर हुसैन लाइब्रेरी में पुलिस की बर्बता का वीडियो वायरल हो रहा है. यह साफ किया जाता है कि वीडियो को विश्वविद्यालय की ओर से जारी नहीं किया गया है."
बयान में आगे कहा गया है कि विश्वविद्यालय यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि जामिया के गेट नंबर 7 के बाहर हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन की अगुवाई कर रही जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) विश्वविद्यालय का आधिकारिक निकाय नहीं है.जामिया प्रशासन ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि जेसीसी विश्वविद्यालय का आधिकारी निकाय नहीं है. जेसीसी से किया गया कोई भी संवाद विश्वविद्यालय से संवाद नहीं माना जाना चाहिए."
यह वीडियो कथित तौर पर जेसीसी के आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप पर सर्कुलेट हो रहा है.
(इनपुट: IANS से भी)
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