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उम्मीद है मनु शर्मा सुधर गया होगा, वैसी गलती न दोहराए- सबरीना लाल

मनु शर्मा को 14 साल सजा काटने के बाद 1 जून को रिहा कर दिया गया है.

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मनु शर्मा को 14 साल सजा काटने के बाद 1 जून को रिहा कर दिया गया है.
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मनु शर्मा को 14 साल सजा काटने के बाद 1 जून को रिहा कर दिया गया है.
(फोटोः Twitter/Altered By Quint)

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जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा को रिहा कर दिया गया है. जेसिका की बहन सबरीना लाल, जिन्होंने इंसाफ पाने और मनु शर्मा को जेल में पहुंचाने के लिए दिन रात एक कर दिया था. उनका कहना है कि उन्हें मनु शर्मा के तिहाड़ जेल से रिहा हो जाने पर 'कोई आपत्ति' नहीं है. हालांकि, वो ये भी कहती हैं कि उम्मीद है कि 21 साल पहले की गई गलती को मनु शर्मा दोबारा न दोहराए.

मेरे विरोध करने या नहीं करने का कोई मतलब नहीं है. मेरा ये कहना है कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है. आप जानते हैं कि जब आपपर सच्चाई की मार पड़ती है तो ये बहुत खुशी होने वाली बात नहीं होती. लेकिन क्या कर सकते हैं? बस हम एक उम्मीद कर सकते हैं और प्रार्थना कर सकते हैं कि जो उनसने 21 साल पहले किया था, वैसा कभी करने की नहीं सोचेगा.
सबरीना लाल, जेसिका की बहन

बता दें कि मनु शर्मा को 14 साल सजा काटने के बाद 1 जून को रिहा कर दिया गया है. इस मर्डर केस की कहानी शुरू हुई दिल्ली के एक रेस्टोरेंट से, जहां मनु शर्मा और जेसिका लाल दोनों मौजूद थे. 29 अप्रैल 1999 की रात रेस्टोरेंट में मनु शर्मा ने जेसिका लाल की सिर्फ इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी थी, क्योंकि उसने शराब परोसने से इनकार कर दिया था. मनु शर्मा हरियाणा के बड़े नेता विनोद शर्मा का बेटा है.

सबरीना ने क्विंट से ये भी कहा कि उन्हें इंसाफ मिला है, क्योंकि मनु शर्मा को इस केस में दोषी करार दे दिया गया है. 

सबरीना ने कहा, बात ये है कि सभी ने मिलकर इंसाफ के लड़ाई लड़ी. मेरा हमेशा से ये कॉन्सेप्ट रहा है कि उसे सजा मिलनी चाहिए थी, क्योंकि वो सभी साल 2006 में आजाद हो गए थे.तब मेरा मकसद यही था कि उसे सजा मिलनी ही चाहिए थी और उसके अपराध के लिए उसे दोषी ठहराया जाना चाहिए था. और उसे दोषी ठहराया गया और मुझे लगता है कि उस हद तक न्याय मिला. इसलिए मुझे नहीं लगता कि लोगों को उसके रिहा किए जाने के कारण खराब महसूस करना चाहिए.

सबरीना जोर देकर कहती हैं कि ‘आशा और प्रार्थना’ है कि मनु शर्मा सुधर गया हो.

बता दें कि दिसंबर 2006 में हाईकोर्ट ने मनु शर्मा को 50 हजार रुपये जुर्माने के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था.

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